अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। खरीफ सीजन में नहरों को पानी देकर सिंचाई अफसर फंस गए हैं। पिछले करीब एक माह के दौरान राजघाट एवं माताटीला बांध का जल स्तर तयशुदा निशान से नीचे था लेकिन, इसके बावजूद सिंचाई अफसरों ने नहरें खोल दीं। नियमों के मुताबिक इन परिस्थितियों में नहर को पानी देने पर रोक रहती है। जलाशय की ऑडिट रिपोर्ट में अफसरों की यह लापरवाही उजागर हो गई। शासन स्तर से स्थानीय अफसरों से जवाब तलब किया गया है। शासन से पत्र जारी होने के बाद अधीक्षण अभियंता से लेकर अधिशासी अभियंता के बीच खलबली मची हुई है।
दरअसल, जलाशयों का एक हिस्सा पीने के पानी के लिए हमेशा सुरक्षित रखना होता है। इससे बचे पानी को ही सिंचाई के लिए छोड़ा जाता है। जलाशयों में हर माह का जल स्तर तय रहता है। राजघाट एवं माताटीला बांध में 7 अगस्त से 21 अगस्त के दौरान 1007-1011 फुट तक पानी रहना चाहिए था लेकिन, बांध में इतना पानी नहीं था। इस दौरान औसतन बांध में एक फुट पानी कम था। न्यूनतम जल स्तर न होने के बावजूद सिंचाई अफसर दतिया कैनाल एवं बेतवा नहर को करीब 20 दिन तक पानी देते रहे। हर तीसरे सप्ताह होने वाले पानी के ऑडिट में अफसरों की यह लापरवाही पकड़ में आ गई। बांध में पर्याप्त पानी न होने के बाद भी सिंचाई के लिए पानी देने को लेकर अफसर फंस गए हैं। शासन ने इसे गंभीर अनियमितता मानते हुए जवाब-तलब कर लिया है। वहीं, अधिशासी अभियंता मो.फरीद का कहना है कि सोमवार से जलाशय के निर्धारित स्तर पर भरने के बाद उसे नहरों के लिए खोला गया है।