कोंच। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाए जाने वाला नाग पंचमी पर्व सोमवार को नगर क्षेत्र में परंपरागत रूप से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने विधि विधान से भगवान शिव के आभूषणों की पूजा की, तत्पश्चात महिलाओं ने सत्तू खाया।

नगर के पहाड़गांव रोड (महंत नगर) पर स्थित नाग मंदिर सहित मंदिरों में लोगों ने पूजा पाठ किया। गाय के गोबर से नाग-नागिन उकेरकर दूघ चढ़ाते हुए सर्पदोष से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। वहीं बगीचों, खेत खलिहानों में एवं तालाबों, कूपों, वापी आदि पर भी लोगों ने पहुंचकर दूध चढ़ाकर नाग देवता की पूजा की। घरों एवं प्रतिष्ठानों पर भी तांबे के नाग-नागिन की लोगों ने पूजा अर्चना की। नाग पंचमी पर सत्तू खाने की परंपरा का निर्वाह भी महिलाओं ने किया।

जालौन। सोमवार को नागपंचमी का त्योहार नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक ढंग से मनाया गया। इस मौके पर नागों की पूजा की गई।

नागपंचमी के मौके पर नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में भोजन बनाकर घर के मुख्य द्वार पर नाग की आकृति बनाकर उनकी पूजा की। क्षमा याचना कर दया बनाए रखने की प्रार्थना की। पंडित अरविंद बाजपेई बताते हैं कि पुराणों में नागपंचमी मनाने के पीछे कई मान्यताएं प्रचलित है। बताया कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से उनकी कृपा मिलती और सर्प से किसी भी प्रकार की हानि का भय नहीं रहता। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें इस दिन पूजन कराने से इस दोष से छुटकारा मिल जाता है।



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