
भाजपा की चुनावी तैयारियां
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मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव है। इससे पहले एक-एक कार्यकर्ता को साधने में जुटी भारतीय जनता पार्टी के न्यू ज्वाइनिंग अभियान को तीन वर्ष पहले दो दर्जन विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक झटका दे रहे हैं। सिंधिया भाजपा में शामिल होने के बाद राज्यसभा सदस्य बने और वर्तमान में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। उनके साथ जितने विधायक भाजपा में शामिल हुए थे, सभी को उप चुनाव में भाजपा ने टिकट दिया। जीतने वाले आधा दर्जन से अधिक नेता वर्तमान में मंत्री हैं, उप चुनाव हारने वालों को निगम-मंडल में अध्यक्ष बनाकर नवाजा गया है। बावजूद इसके सिंधिया के बाकी समर्थक विधानसभा चुनाव पास आते ही एक-एक कर पार्टी छोड़कर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में शामिल होते जा रहे हैं। बताया जाता है कि अभी तक जिन आधा दर्जन सिंधिया समर्थकों ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है, वे विधानसभा टिकट की आस में भाजपा में आए थे। लेकिन भाजपा में वर्तमान परिदृश्य में वे खुद को टिकट के दावेदारों से कहीं दूर देख रहे थे। हालांकि कारण चाहे जो भी हो, लेकिन भाजपा एक तरफ जहां नए लोगों को पार्टी से जोडऩे के लिए न्यू ज्वाइनिंग समिति का गठन किया है, सिंधिया समर्थकों के पार्टी से छिटकने से उक्त अभियान को झटका जरूर लगा है। ग्वालियर-चंबल सिंधिया का गढ़ माना जाता है। वहां के आधा दर्जन जिलों में महल का प्रभाव आज भी है। भाजपा छोडऩे वाले अधिकांश नेता यहीं से हैं। आगामी 20 अगस्त को ग्वालियर में होने वाली प्रदेश कार्य समिति को राजनीतिक विश्लेषक भाजपा को स्थानीय गुटबाजी, असंतोष और नेताओं को पार्टी से बांधे रखने से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
जनाधार वाले नेता छोड़ रहे साथ
100 करोड़ के आसामी समंदर पटेल
मालवा क्षेत्र के नीमच जिले के जावद विधानसभा क्षेत्र से आने वाले समंदर पटेल 2018 में विधानसभा का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था लेकिन वह जीत नहीं सके थे। समंदर ने 33 हजार वोट लेकर कांग्रेस की उम्मीदवार को हराने में अहम भूमिका निभाई थी। नीमच के जावत से वर्तमान में एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा विधायक हैं। समंदर इस बार भाजपा से टिकट के दावेदारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट मिलना संभव नहीं दिख तो वह भाजपा को छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करने वालो हैं। निर्दलीय होकर के समंदर पटेल ने 33 हजार वोट पाए थे, ऐसे में अगर इस चुनाव में कांग्रेस उन्हें जावद से अपना उम्मीदवार बनाती है तो वह ओमप्रकाश सखलेचा को कड़ी टक् कर दे सकते हैं। पटेल जल्द ही बड़े लाव लश्कर के साथ कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं।
बैजनाथ यादव
गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र से सिंधिया लगातार चार बार सांसद रहे हैं और यह क्षेत्र महल का गढ़ माना जाता है। बैजनाथ यादव जनाधार वाले नेता हैं और गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या भी है। वह ज्योतिराज सिंधिया के करीबी रहे हैं। बैजनाथ सिंह यादव माधवराव सिंधिया के समय से महल के करीबी रहे हैं। उन्होंने अपनी पत्नी कमला यादव को शिवपुरी जिला पंचायत अध्यक्ष भी बनवाया था। बीते जून महीने में चार सौ वाहनों के काफिले के साथ भोपाल पहुंचकर सख्त प्रदर्शन किया और वह कांग्रेस में शामिल हो गए। भाजपा छोडऩे से बड़ी संख्या में यादव मतदाता कांग्रेस से जुड़ सकते हैं, कांग्रेस में शामिल कराने में अरुण यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जयपाल सिंह यादव
जयपाल सिंह यादव चंदेरी से चुनाव लड़ चुके हैं वह सिंधिया के भाजपा ज्वाइन करने के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे केंद्रीय मंत्री सिंधिया के खास माने जाने वाले जयपाल सिंह यादव भी यादव समाज में अच्छी पाठ रखते हैं युवाओं में भी उनके समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है लेकिन कुछ दिनों पहले भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
यदुराज सिंह यादव
चंदेरी विधानसभा क्षेत्र में यादुराज सिंह यादव की अच्छी पकड़ है। वह संगठन गढने में माहिर माने जाते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब गुना संसदीय सीट से चुनाव लड़ते थे तो वह अशोकनगर में युदाराज सिंह उनके चुनाव की कमान संभालते थे। यह भी जयपाल सिंह यादव के साथ कांग्रेस में शामिल हुए हैं।
मुकेश गुप्ता और गगन दीक्षित भी कांग्रेस में
शिवपुरी जिले में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष के पद पर रहे राकेश गुप्ता भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस में थे और चुनाव लड़ते थे तो राकेश गुप्ता शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में सिंधिया के लोकसभा चुनाव का मैनेजमेंट देते थे। वहीं रायसेन में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक गगन दीक्षित ने भी पार्टी छोड़ दी है। गगन दीक्षित सिंधिया फैंस क्लब के जिला अध्यक्ष रहे हैं। इनके साथ सांची जनपद पंचायत के अध्यक्ष अर्चना पूर्ति ने भी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है दोनों सिंधिया समर्थक हैं।
धाकड़ ने भी छोड़ी पार्टी
धाकड़ समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले रघुराज सिंह धाकड़ ने भी भाजपा का दामन छोड़कर कांगेे्रस में शामिल हो गए हैं। कोलारस से आने वाले रघुराज सिंह धाकड़ करीब 20 वर्ष से राजनीति में सक्रिय हैं। कोलारस विधानसभा क्षेत्र में धाकड़ मतदाताओं की संख्या भी करीब 25 हजार है। ऐसे में धाकड़ के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शमिल होने से यहां का भी समीकरण गड़बड़ा सकत है।