अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। कलक्टर बनने की चाहत रखने वाली बालिका का आठवीं के बाद परिवार के लोगों ने स्कूल से नाम कटवा दिया। इससे नाराज होकर किशोरी ने घर छोड़ दिया और ट्रेन में सवार होकर झांसी पहुंच गई। यहां वह आरपीएफ के हाथ लग गई। शुक्रवार को किशोरी को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया। किशोरी के परिजनों को सूचना दे दी गई है।

ओडिशा के जिला झांसुगुढ़ा की 12 साल की बच्ची पढ़ाई में शुरु से ही होशियार थी। लेकिन, आठवीं पास होते ही उसका स्कूल से नाम कटवा दिया गया और मां ने कहा कि घर का काम सीख जाओ। पढ़ाई के नाम पर कहा गया कि बस चिट्ठी लिखना भर सीख जाओ। परिवार के लोगों के इस रुख से नाराज होकर बालिका ने घर छोड़ दिया और ट्रेन में सवार हो गई। ट्रेन के झांसी पहुंचने पर टीटीई की उस पर नजर पड़ी। टीटीई की सूचना पर आरपीएफ ने किशोरी को ट्रेन से उतार लिया और चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। शुक्रवार को किशोरी सीडब्ल्यूसी के पास लाई गई। यहां किशोरी ने बताया कि वह कलक्टर बनना चाहती है। इसके लिए आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन मां ने स्कूल से नाम कटा दिया। इससे नाराज होकर वह घर छोड़ आई थी। यहां किशोरी की समझाइश की गई और उसके झांसी में होने की सूचना परिवार के लोगों को दी गई। शनिवार को उसका भाई उसे लेने यहां आएगा। सीडब्लूसी के अध्यक्ष राजीव शर्मा ने बताया कि किशोरी की पढ़ाई जारी रखी जाए, इसके लिए उसके परिवार के सदस्यों को प्रेरित किया जाएगा।



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