
छात्र सैम वर्गीस
– फोटो : अमर उजाला, इंदौर
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इंदौर में एमबीए टेक के तीसरे वर्ष के छात्र सैम वर्गीस की चर्चा इस समय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। उन्होंने एक उन्नत मशीन लर्निंग (एमएल) मॉडल विकसित किया है जो हाथ के इशारों को पहचानने और इन इशारों के माध्यम से कंप्यूटर को संचालित करने में सक्षम है। इस परियोजना का लक्ष्य एमएल की शक्ति का उपयोग करके मानव-कंप्यूटर संपर्क में क्रांति लाना है। सैम का एमएल मॉडल हाथ के इशारों का सटीक रूप से विश्लेषण और व्याख्या करके निर्णय ले सकता है। जिससे एक हैंड्स फ्री और सहज कंप्यूटिंग अनुभव मिल सकता है। सैम इंदौर स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग (एसटीएमई) के छात्र हैं।
सैम ने अपनी इस परियोजना की जानकारी सोशल नेटवर्किंग साइट लिंक्डइन पर साझा किया, जिसके बाद उसके द्वारा तैयार किए गए मॉडल पर व्यापक सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली। विभिन्न पृष्ठभूमियों के पेशेवरों ने माना कि सैम का उपकरणों के साथ हमारे इंटरैक्ट करने के तरीके को बदलने की क्षमता रखता है। अधिकतर पेशेवर लोगों ने सैम के द्वारा विकसित किए गए एमएल मॉडल की सराहना की।
कैसे काम करता है यह डिवाइस
प्रोजेक्ट के मूल में एक प्रोग्राम है। यह डिवाइस के कैमरे को सक्रिय करता है और कमांड के रूप में हाथ के इशारों का उपयोग करके कंप्यूटर को नियंत्रित करता है। जानकारों का कहना है कि सैम का यह आविष्कार उपकरणों और एप्लिकेशन की विस्तृत शृंखला में सहज कंप्यूटिंग के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलता है।
जब सैम से उनकी उपलब्धि के बारे में पूछा गया तो उन्होंने विस्मय और गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मेरे लिए हमेशा की मानव जीवन में तकनीक का इस्तेमाल आकर्षित करता रहा है। यह जानकर और अच्छा लग रहा है कि मैं पहला व्यक्ति हूं जिसने इस अभूतपूर्व नवाचार को विकसित किया है। वास्तव में यह जानना एक अच्छा अहसास देता है। इस अत्याधुनिक तकनीक में समाज को व्यापक रूप से लाभ पहुंचेगा। इस परियोजना की मदद से समाज को ज्यादा सशक्त बनाया जा सकता है। इस परियोजना में एनएमआईएमएस इंदौर के प्रोफेसरों और सहकर्मियों ने भी सैम का हौसला बढ़ाया।
कई चुनौतियां भी आई
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में सैम को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। प्रोजेक्ट को मॉडल के प्रशिक्षण के लिए 30,000 से अधिक डेटा बिंदुओं वाले एक व्यापक डेटासेट की आवश्यकता थी साथ ही, सैम को कस्टम इशारों को सटीक रूप से पहचानने और व्याख्या करने के लिए उन्नत कोऑर्डिनेट ज्योमेट्री की मजबूत समझ की भी आवश्यकता थी। इन चुनौतियों के बावजूद, सैम के दृढ़ संकल्प और समर्पण के कारण परियोजना सफलतापूर्वक पूरी हुई।