उरई। मोहल्ले की पतली गली हो या हाईवे की चौड़ी सड़क। चारों तरफ सिर्फ अन्ना मवेशियों के झुंड या उनकी लड़ाई देखने को मिलती है। खाने के लिए हरी घास नहीं मिलने पर कूड़े में विचरण करते रहते हैं। एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे के बाद भी प्रशासन सचेत नहीं हुआ।

शनिवार रात बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर बैठे गोवंशों को ट्रक रौंदते हुए निकल गए थे। इसमें चार गोवंश की मौत और पांच घायल हुए थे। सूचना पाकर पहुंची पुुलिस ने पालिका की जेसीबी से गोवंशों को हटवाकर सड़क को धुलवाया था। उस वक्त तो प्रशासन ने अपने बचाव के लिए उन गोवंशों को तुरंत हटवा दिया था। लेकिन जिले भर में अन्ना गोवंश की समस्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

शासन स्तर पर भले ही कागजों में मवेशी गोशालाओं में हैं। लेकिन, हकीकत में गोवंशों को अपना ठिकाना तक नहीं मिल रहा है। सड़कों पर घू्म-घूम कर विचरण कर रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक हर जगह गोवंशों का बसेरा है। अन्ना मवेशी आपस में लड़कर दूसरों को नुकसान पहुंचा रहे। बीच सड़क पर बैठकर हादसों का कारण भी बन रहे हैं। जिले में 383 गोशालाएं बनी हैं। इसमें 204,198 गोवंश संरक्षित हैं। कदौरा ब्लॉक में 36608 गोवंश, महेवा ब्लॉक में 22472 गोवंश, माधौगढ़ ब्लॉक में 15823 गोवंश, रामपुरा ब्लॉक में 12483 गोवंश, जालौन ब्लॉक में 19348, कुठौंद ब्लॉक में 18885 गोवंश, कोंच ब्लॉक में 20151, नदीगांव में 25626, डकोर ब्लॉक में 32802 गोवंश संरक्षित हैं। उसके बाद भी जगह-जगह अन्ना मवेशी विचरण करते हैं।

केस-1

पांच जुलाई को आटा थाना क्षेत्र कानपुर झांसी नेशनल हाईवे पर देर रात तीन छात्र कानपुर से पेपर देकर लोट रहे थे। तभी अन्ना मवेशी आ जाने से उरई निवासी धर्मेंद्र (18), कृष्णकांत (17), सत्यम पाल (16) घायल हो गए थे। जिसमें दो गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

केस-2

7 अगस्त को मिनौरा गांव निवासी बाबूराम(70)अपने साथी महेंद्र के साथ उरई स्थित मौनी बाबा मंदिर में प्रभातफेरी में शामिल होने बाइक से आ रहे थे। तभी मड़ोरा गांव के पास उसकी बाइक सड़क पर खड़े मवेशियों से टकरा गई। जिससे उसकी मौत हो गई और महेंद्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

केस-3

रेढ़र थाना क्षेत्र के खकसीस गांव निवासी फूलसिंह जाटव (48) शुक्रवार को काम के सिलसिले से उरई आ रहे थे। रात को जब वह बाइक से गांव लौट रहे थे। बोहदपुरा के पास अचानक सड़क पर अन्ना मवेशियों का झुंड आने से बाइक अनियंत्रित होकर भिड़ गई। इससे उनकी जान चली गई थी।



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