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मध्य प्रदेश के रतलाम की एक महिला आरक्षक अपना जेंडर चेंज करेगी। वह जेंडर आईडेंटिटी डिसआर्डर से पीडि़त है। शासकीय कर्मचारी होने के कारण दो साल पहले महिला आरक्षक ने पुलिस मुख्यालय से जेंडर चेंज करने की अनुमति मांगी थी। गृह विभाग ने विधि विभाग से राय ली थी। विधि विभाग ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर अनुमति देने की सलाह दी थी। इसके बाद महिला आरक्षक को जेंडर बदलने की अनुमति मिल गई।
पुलिस विभाग में लिंग परिवर्तन कराने का यह दूसरा मामला है। दो साल पहले निवाड़ी में पदस्थ एक महिला आरक्षक को भी जेंडर चेंज करने की अनुमति मिली थी। फिलहाल जिस आरक्षक को गृह विभाग ने अनुमति दी है। वह रतलाम जिले में पदस्थ है। वह जेंडर आईडेंटिटी डिसआर्डर से पीडि़त थी और दिल्ली के एक मनोचिकित्सक से इलाज करा रही थी।चिकित्सकों के अनुसार इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति प्राकृतिक रुप से मिले जेंडर के प्रति सहज नहीं रहता है। उसके क्रियाकलाप विपरित लिंग की तरह रहते है। इससे वह परेशान रहता है। इसका उपाय लिंग परिवर्तन है।
डाक्टर ने उन्हें लिंग परिवर्तन की सलाह दी थी। इसके बाद रतलाम जिले के मेडिकल बोर्ड के पास मामला पहुंचा। बोर्ड ने परीक्षण किया और जेंडर चेंज करने की सलाह दी,लेकिन शासकीय कर्मचारी के लिंग परिवर्तन को लेकर शासन के पास कोई स्पष्ट नियम नहीं है, इसलिए पुलिस मुख्यालय ने विधि विभाग से अभिमत मांगा था। विधि विभाग ने जेंडर बदलने की सलाह दी।
नहीं मिलेगी सुविधाएं
महिला आरक्षक होने के नाते जो सुविधाएं पुलिस विभाग की तरफ से मिलती है। जेंडर बदलने के बाद वह सुविधाएं महिला आरक्षक को नहीं मिलेगी। अनुमति के साथ गृह विभाग ने महिला आरक्षक को यह तथ्य भी स्पष्ट करा दिया है।