77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हर भारतीय अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारी आन-बान और शान का प्रतीक है। 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान से जुड़कर लोग शान से तिरंगा फहरा रहे हैं। जब भी बात हमारे राष्ट्रीय ध्वज की होती है तो ग्वालियर जिले का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। क्योंकि मध्यप्रदेश के इस शहर में बने तिरंगे ही ज्यादातर सरकारी इमारतों और घरों में आजादी की जश्न मनाने में अपना योगदान देते हैं।

आजादी के बाद ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण कर पूरे देश में अपना नाम रोशन कर रहा है। यह जानकर आपको गर्व होगा देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराने वाला तिरंगा झंडा सिर्फ ग्वालियर शहर में तैयार होता है। ग्वालियर में स्थित देश का दूसरा और उत्तर भारत का इकलौता मध्य भारत खादी संघ राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करता है।

 



जब भी देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है, तब ग्वालियर का जिक्र सभी की जुबान पर होता है। क्योंकि ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खादी संघ उत्तर भारत में इकलौती ऐसी संस्था है, जो राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती है। यहां जमीनी प्रक्रिया से लेकर तिरंगे में डोरी लगाने तक का काम किया जाता है। आईएसआई तिरंगे देश में कर्नाटक के हुगली और ग्वालियर के केंद्र में ही बनाए जाते हैं। यहां बनने वाले तिरंगे मध्यप्रदेश के अलावा बिहार, राजस्थान उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित 16 राज्यों में पहुंचाए जाते हैं, मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है कि देश के अलग-अलग शहरों में स्थित आर्मी की सभी इमारतों पर ग्वालियर में बने तिरंगे ही शान बढ़ा रहे हैं।

संस्था के द्वारा तिरंगा बनाने के लिए तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंग और जैसे मानक शामिल हैं। इसके साथ ही लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है। मानकों को ध्यान में रखते हुए हमारा राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है। मध्य भारत खादी संघ संस्था द्वारा किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को पांच से छह दिन का समय लगता है। लैब में ट्रैकिंग के बाद जब हमारा राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह तैयार हो जाता है, उसके बाद ही उसे लैब से बाहर निकाला जाता है। ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खादी संघ आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती है और यह पूरे देश भर में दूसरी संस्था है। 

 


मध्य भारत खादी संघ की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी। 1956 में मध्य भारत खादी संग को आयोग का दर्जा मिला और उसके बाद 2016 से यह संस्था आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही है। यह उत्तर भारत की पहली ऐसी संस्था है, जो तिरंगे का निर्माण करती है। मध्य भारत खादी संघ के द्वारा तैयार किए गए अलग-अलग कैटेगरी के तरंगे देश के 16 राज्यों में जाते हैं और सभी शासकीय और अशासकीय इमारतों पर शान से फहराए जाते हैं। 




Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *