कोंच। सीमावर्ती जनपद झांसी की मोंठ तहसील के गांव करई में स्थित बंधा से छोड़े जाने के कारण मोंठ तहसील क्षेत्र के करीब आधा दर्जन और कोंच तहसील क्षेत्र के दर्जन भर से अधिक गांवों में बोई गई हजारों बीघा खरीफ की फसलें पानी में डूबकर बर्बाद हो गई हैं, इससे किसान सदमे में हैं। करई से छोड़े गए पानी से स्थिति बिगड़ने की जानकारी मिलने पर एसडीएम अतुल कुमार के निर्देश पर संबंधित विभाग के एसडीओ और जेई ने गांवों का दौरा कर स्थिति जानी और अपनी रिपोर्ट तैयार की।
करई गांव स्थित बंधे से छोड़े गए पानी से मोंठ तहसील क्षेत्र के ग्राम करई के अलावा उजयारपुरा, इमिलिया, मड़ोरा, बैदोरा तथा कोंच तहसील क्षेत्र के ग्राम किशुनपुरा, भेंपता, कमतरी, फुलैला, खैरी, सेता, मंगरा, इमलौरी, परैथा, डाढी आदि गांवों में स्थित हजारों बीघा कृषि भूमि में खरीफ की फसल में तिल, धान, मूंगफली, उड़द के अलावा मैंथा की फसल डूब गई जिससे अन्नदाता सदमे में दिखाई दे रहे है।
कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि, कभी बाढ़ तो कभी सूखा जैसी आपदाओं से जूझते जूझते किसान की कमर लगभग हर साल टूटती है लेकिन हार माने बिना वह हर बार फिर खड़ा हो जाता है इस उम्मीद से कि शायद ऊपर वाला अबकी बार जरूर रहम कर देगा। ग्राम किशुनपुरा निवासी किसान मनोहर सिंह, भेंपता के भरत पटेल, सेता के कृष्ण कुमार ने कहा है कि लगभग हर साल करई बंधा से पानी छोड़ा जाता है लेकिन किसानों को नुकसान से बचाने के लिए प्रशासन समय रहते कोई तैयारी नहीं करता है। उन्होंने खराब हुईं फसलों के एवज में क्षतिपूर्ति प्रदान किए जाने की मांग शासन-प्रशासन से की है।
एसडीएम ने बताया कि कुछ खेतों में पानी भरा हुआ है लेकिन खतरे जैसी फिलहाल कोई बात नहीं है। पानी भी कम होता जा रहा है। पूरी रिपोर्ट तैयार कर अग्रिम कार्यवाही के लिए ऊपर भेजी जाएगी। उधर, तहसीलदार आलोक कटियार ने भी राजस्व कर्मियों संग गांवों का दौरा कर स्थिति देखी। उन्होंने बताया कि करई से छोड़े गए पानी की निकासी पिरौना नहर और मलंगा नाला कोंच में लगातार हो रही है।