Sawan 2023: There is a nine-faced Shivling in Ujjain Kalsarp and Pitra Dosh are mitigated by mere sight

कर्कोटकेश्वर महादेव मंदिर, उज्जैन
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


चमत्कारों की नगरी उज्जैन में एक ऐसा शिव मंदिर है। जहां शिवलिंग के एक दो नहीं बल्कि पूरे नौ मुख हैं, जिसके दर्शन करने मात्र से ही कालसर्प और पितृदोष का शमन हो जाता है। वैसे तो पूरे वर्ष भर ही मंदिर में श्रद्धालु भगवान के पूजन अर्चन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन पंचमी, चतुर्दशी, प्रदोष और रविवार को भगवान का पूजन अर्चन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। 

हरसिद्धि शक्तिपीठ के परिसर में भगवान श्री कर्कोटकेश्वर महादेव का अति प्राचीन एवं दिव्य मंदिर है। मंदिर के पुजारी पंडित राजेश गोस्वामी बताते हैं कि 84 महादेव में मंदिर का स्थान 10वें नंबर पर आता है। मंदिर में भगवान का काले पाषाण का अतिप्राचीन शिवलिंग है, जिनके कुल नौ मुख हैं। शिवलिंग के चारों ओर भगवान के कुल आठ मुख और ऊपर की ओर एक मुख है। मंदिर में शिव परिवार के साथ ही दुर्गा देवी की दक्षिणमुखी काले पाषाण की प्रतिमा अत्यंत दिव्य व चमत्कारी है। यहां भगवान केदारेश्वर महादेव और सूर्य देव की प्रतिमा भी विराजमान है। 

पुजारी पंडित राजेश गोस्वामी के अनुसार वैसे तो भगवान के दर्शन पूजन करने मात्र से ही कालसर्प, पितृदोष का शमन होता है, लेकिन यदि पंचमी, चतुर्दशी, प्रदोष और रविवार को भगवान का पूजन अर्चन किया जाता है, तो विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। ऐसी भी मान्यता है कि इनके दर्शन व पूजन करने से पूरी उज्जैन नगरी की यात्रा करने का फल प्राप्त होता है और सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मंदिर में भगवान को दूध और जल अर्पित करने मात्र से ही पितृों को शांति और मोक्ष मिलता है। 

शिवलिंग के दर्शन से होता है विष दोष का नाश 

कर्कोटकेश्वर महादेव की कथा बताती है कि यदि इनका पूजन अर्चन सच्चे मन से किया जाता है, तो इससे विष दोष का भी नाश हो जाता है। एक बार भगवान शंकर पार्वती जी को एक कथा सुना रहे थे, जिसमें उन्होंने बताया कि एक बार सर्प माता की बातों को न मानने पर उन्होंने यह श्राप दिया था कि सभी सर्प जन्मोजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे। इस श्राप के कारण सर्पों मे हाहाकार मच गई। कुछ सर्प हिमालय तो कुछ यमुना जैसे जल में चले गए लेकिन जब कुछ सर्प जगत पिता ब्रह्मा के पास पहुंचे और इस श्राप से बचने का उपाय पूछा तो ब्रह्मा जी ने सड़कों को बताया कि महाकाल वन में एक ऐसा दिव्य शिवलिंग है। जिनकी आराधना करने से आपके प्राणों की रक्षा हो जाएगी। सभी सर्पों को ब्रह्मा जी द्वारा बताए गए उपाय को आजमाया और महाकाल वन पहुंचकर भगवान का पूजन अर्चन किया, जिससे खुश होकर भगवान ने सर्पों की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपना सामुच्य लाभ दिया। जिसके बाद यह शिवलिंग कर्कोटक देव के नाम यानि कर्कोटकेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हो गया।



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