विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पास हरसिद्धि मंदिर जाने वाले मार्ग पर घाटी के पास शहर के सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा विराजमान है। बताया जाता है कि यह प्रतिमा लगभग 114 वर्षों पूर्व इस मंदिर में स्थापित की गई थी। इस मंदिर की ख्याति इतनी है कि भगवान श्री गणेश की बहन देश विदेशों से प्रतिवर्ष रक्षाबंधन पर उन्हें राखियां भेजती हैं। अब तक शहरवासी इस मंदिर को शहर के सबसे बड़े गणेश के नाम से ही जानते थे, लेकिन इस मंदिर में महादेव का एक ऐसा अनोखा शिवलिंग है जिसमें मध्य में बाबा महाकाल और आसपास 11 ज्योतिर्लिंग बने हुए हैं। मंदिर के पुजारी पंडित संजय व्यास ने बताया कि मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग का यह शिवलिंग लगभग 90 वर्षों पुराना है। जिनका प्रतिदिन पूजन अर्चन अभिषेक करने के साथ ही समय-समय पर सहस्त्रनामावली से 1000 बिल्वपत्र चढ़ाए जाते हैं। 



मंदिर की हर प्रतिमा चमत्कारी 

मंदिर में शहर के सबसे बड़े गणेश जी द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ ही नवग्रह का भी एक विशेष स्थान है। जिसमें खगोल की दिशा अनुरूप सभी ग्रहों को यहां पर विराजमान किया गया है। नवग्रह मंदिर में सभी देवता अपने वाहनों पर भी विराजमान हैं, इसके साथ ही मंदिर में दुर्गा माता की एक प्रतिमा है जो कि दुर्गा बाग पैलेस देवास से महाराजा पंवार के यहां से लाई गई है। बताया जाता है कि यह प्रतिमा काले पाषाण की है जो कि अत्यंत चमत्कारी एवं दिव्य है।


इन प्रतिमाओं के साथ ही मंदिर में लगभग 100 वर्ष पुरानी हनुमान जी की अष्टधातु की पंचमुखी प्रतिमा है, जिसे एक तांत्रिक द्वारा इस मंदिर को दिया गया था। इस प्रतिमा को देते समय तांत्रिक ने कहा था कि इस प्रतिमा को ऐसे स्थान पर विराजित करना जहां पर इस प्रतिमा को श्रद्धालुओं द्वारा छुआ ना जा सके। मंदिर के पुजारी द्वारा प्रतिमा को वर्षों तक ऐसे ही स्थान पर रखा गया। जहां चारों ओर जालिया लगी थी इसके साथ ही मंदिर में पंचमुखी हनुमान की सिंदूर वाली प्रतिमा, कालिया मृदन करते भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा और माता यशोदा की गोद में श्रीकृष्ण की प्रतिमा भी विराजमान है।




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