MP News: The number of poor in the state decreased by 15.94% in five years, CM said – lack of housing, means o

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
– फोटो : अमर उजाला

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नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में गरीबों की संख्या में 15.94 प्रतिशत दर्ज की गई है। नीति आयोग ने इसकी रिपोर्ट जारी की है। नीति आयोग की रिपोर्ट का मंगलवार को राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय सभागार में परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संयुक्त राष्ट्र के भारत में स्थानीय प्रतिनिधि शोम्बी शार्प, नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत, प्रधानमंत्री सलाहकार परिषद की सदस्य प्रो. शामिका रवि, मप्र नीति आयोग के उपाध्यक्ष सचिन चतुर्वेदी ने परिचर्चा में शामिल हुए। नीति आयोग की बहुआयामी रिपोर्ट में सामने आया कि देश में हर 10 में से एक व्यक्ति गरीबी से हटा, वह मध्य प्रदेश से है। प्रदेश में गरीबों की संख्या में 15.94 प्रतिशत की कमी आई है। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 20 प्रतिशत गरीबी कम हुई है। अब प्रदेश देश में गरीबी में पांचवे स्थान पर है। रिपोर्ट पर प्रबुद्धजनों के साथ चर्चा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि गरीबी की परिभाषा क्या है। एक बड़ा अहम सवाल है, ये बात सच है कि रोटी न होना गरीबी है, भूखे भजन न होय गोपाला। हमें रोटी चाहिए, कपड़ा न होना गरीबी, रहने का टुकड़ा न होना गरीबी, मकान न होना भी गरीबी है, रोजगार के साधन न होना भी गरीबी है। रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई, स्वास्थ्य की सुविधाएं नहीं है तो वो भी गरीबी है। 

यह बताई अमीरी की परिभाषा 

हम भारत की सोच को देखें और अंदर जाएं तो हमारे ऋषियों ने बताया है कि वास्तव में मनुष्य चाहता क्या है? दो चीजें सभी चाहते हैं, नंबर एक-कोई मरना नहीं चाहता है, दूसरा नंबर-सभी सुखी जीवन चाहते हैं। सीएम ने कहा कि मैं अमीरी की परिभाषा दूं तो जो कोई सतही न देखे, शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा इन चारों का सुख हो तो वही अमीरी है। मध्यप्रदेश में कभी सिंचाई साढ़े 7 लाख हेक्टेयर हुआ करती थी, जिसे बढ़ाकर 47 लाख हेक्टेयर कर दी तो अन्न का उत्पादन बढ़ा है।  

गेहूं उत्पादन में पंजाब को पीछे छोड़ा

आज अन्न के उत्पादन में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  गेहूं के उत्पादन में एमपी ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है। सड़क बनी तो गरीबी कम हुई, सिंचाई के साधनों का विकास हुआ तो गरीबी कम हुई, शिक्षा की व्यवस्था बेहतर हुई तो गरीबी कम हुई। पहले कभी मध्यप्रदेश की पर कैपिटा इनकम 11 हजार रुपए थी, आज मध्यप्रदेश की पर कैपिटा इनकम 1 लाख 40 हजार रुपए है।  मध्यप्रदेश की जीएसडीपी कभी 71 हजार करोड़ रुपए हुआ करती थी, आज लगभग 15 लाख करोड़ रुपए है।  

हमने बहनों को सशक्त बनाया 

पहले देश की जीडीपी में हमारा योगदान मात्र 3 प्रशित हुआ करता था, जो आज 4.8 प्रतिशत है।  कई लोग लाड़ली बहना योजना पर सवाल उठा रहे हैं, महिला और पुरुष के बीच असमानता को दूर करने के लिए ये योजना हमने बनाई। हमने स्थानीय निकाय के चुनाव में बहनों को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। पुलिस भर्ती में भी बेटियों को आरक्षण दिया। लाड़ली बहना योजना बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। बैगा, भरिया और सहरिया जनजाति की बहनों को 1 हजार रुपए दिए, इन रुपयों से बहनों ने घर के जरुरी सामान खरीदे।

सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से कम हुई गरीबी

नीति आयोग द्वारा गरीबी को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में मध्यप्रदेश की बेहतर स्थिति को लेकर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए नीति आयोग के सदस्य डीआरडीओ के सचिव रहे मद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मानित वीके सारस्वत ने कहा कि मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से गरीबी घटी है। सारस्वत ने अपने संबोधन में कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट में केंद्र की प्रधानमंत्री आवास योजना, एनीमिया उन्मूलन, जल जीवन मिशन के साथ मप्र सरकार की संबल, लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, हाउसिंग फॉर ऑल, कृषि में सस्टनेबल विकास, जननी सुरक्षा योजना सहित अन्य योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के कारण प्रदेश में गरीबी घटी है। 

पर्यावरण व जैव विविधता में कोरोनाकाल की स्थिति जरूरी

मप्र नीति आयोग के उपाध्यक्ष सचिन चतुर्वेदी ने परिचर्चा में कहा कि प्रदेश में गरीबी घटना के लिए विकास सबसे प्रमुख है। प्रदेश में मौजूदा सरकार ने विकास का स्ट्रक्चर तैयार किया है, जिसकी वजह से गरीबी घटाने में सफलता मिली है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी कहा है कि कोरोना के समय जैव विविधता, सड़कों, नदियों और पर्यावरण में जो स्वच्छता रही है, वह हमेशा बनी रहनी चाहिए। इस पर भी सभी को कार्य करना चाहिए। विकास कार्यों के लिए इन सबका भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। केंद्र और राज्यों के विकास का डाटा और प्रगति की रिपोर्ट तो है, लेकिन जिलों के भी विकास की डाटा वर्तमान में होनी चाहिए। मैंने मप्र नीति आयोग के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ मिलकर भोपाल, इंदौर सहित चार जिलों का इस तरह का डाटा तैयार करने का प्रयास किया है। इस तरह का डाटा सभी जिलों का तैयार होना चाहिए, ताकि जिलों को भी पता हो उसके विकास कार्यों की रिपोर्ट का।

 



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