
कांग्रेस विधायक उमंग सिंगार ने की आदिवासी सीएम की मांग
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अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहने प्रदेश के पूर्व मंत्री और धार जिले के गंधवानी से विधायक उमंग सिंगार ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आदिवासी सीएम का मुद्दा उठा दिया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल आदिवासी वोटों को साधने के लिए नई-नई घोषणाएं कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस में आदिवासी सीएम की मांग प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ा सकती है। इस पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कमलनाथ जी, आपके नेता की बात का कुछ तो जवाब दीजिए।
धार जिले की बदनावर विधानसभा के कोद में रविवार को कांग्रेस के कद्दावर नेता और विधायक उमंग सिंगार टंट्या मामा की मूर्ति का अनावरण करने बाइक रैली से पहुंचे थे। उन्होंने प्रसिद्ध कोटेश्वर मंदिर में पहुंचकर पूजन-अर्चन किया। बाद में टंट्या मामा की मूर्ति का अनावरण किया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री बनना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे मुख्यमंत्री नहीं बनना। जब तक मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी नहीं बनता, आप लोग घर पर मत बैठना। मैं चाहता हूं कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी बने। मैं अपनी बात नहीं कर रहा। मैं अपने समाज की बात कर रहा हूं।
मैं नेताओं का नहीं, आदिवासियों का प्रिय
सिंगार ने कहा कि मैं नेताओं का प्रिय नहीं हूं। मैं आदिवासियों का प्रिय हूं। मैं आपकी बात करता हूं। आपके अधिकार की बात करता हूं तो इन नेताओं को मिर्ची लगती है। मैं डरने वाला आदमी नहीं हूं। उमंग सिंघार ने बदनावर विधायक और प्रदेश के उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस सीट पर आदिवासियों पर अत्याचार हो रहा है। शोषण हो रहा है। दत्तीगांव के लोग आपको लूट रहे हैं। आदिवासी तीर भी रखता है। कमान भी रखता है। फ़ालिया भी रखता है। माछलिया घाट से बदनावर तक यह विधानसभा सीट हमारी है। राजा-महाराजा सुन लें, कहानियां तो राजा महाराजाओं की लिखी जाती हैं, पर इतिहास तो आदिवासियों का ही लिखा जाता है। आपकी ताकत से सरकारें हिलने लगी हैं। राजनीति के बड़े लोग आपको बांटने में लगे हैं।
नरोत्तम मिश्रा बोले- कांग्रेस आदिवासियों की उपेक्षा कर रही
सिंगार के बयान पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि ‘अपन तो उमंग के कायल हैं। ऐसी ही बात उन्होंने तब कही थी, जब वे सरकार में थे। परदे के पीछे से जो सरकार चला रहे थे- चचाजान दिग्विजय सिंह जी राजा साब… उन्होंने कहा था कि इस मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा माफिया दिग्विजय सिंह हैं। शराब माफिया, खनिज माफिया, मध्यप्रदेश का सबसे भ्रष्ट व्यक्ति कोई है तो दिग्विजय सिंह। अंचभा ये है कि आज तक सिंगार की बात का दिग्विजय सिंह ने खंडन नहीं किया। आज उन्होंने फिर कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री बनना चाहिए। इस पर कमलनाथ जी कुछ तो जवाब दो… आपकी पार्टी के नेता है। उन्होंने पहले भी कहा और फिर कह रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस ने जनजातीय बंधुओं की उपेक्षा की है। आप धार के पास झाबुआ जा रहे हैं। बुआ जी जमुना देवी की कांग्रेस ने जिस प्रकार उपेक्षा की, भानु सिंह सोलंकी की उपेक्षा की, दलवीर सिंह की उपेक्षा की और अभी उमंग सिंगार आपके सताए हैं, वे स्वयं यह बात कह रहे हैं। जगजाहिर है कि आप उनके विरोधी हैं।
उमंग की बुआ ने भी उठाई थी आदिवासी सीएम की मांग
उमंग सिंगार के बयान से प्रदेश में नया राजनीतिक बखेड़ा हो गया है। इससे पहले उमंग सिंगार की बुआ जमुना देवी प्रदेश के दिग्विजय सिंह सरकार में उप-मुख्यमंत्री थीं। भाजपा सरकार के समय नेता प्रतिपक्ष भी रहीं। वे भी प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग लगातार करती रहीं। ऐसे में उमंग सिंगार ने विधानसभा चुनाव के पूर्व नया दांव खेलते हुए राजनीतिक दलों में हड़कंप मचा दिया है। हालांकि, विधायक उमंग के इस बयान को उन पर लगे तमाम आरोपों से ध्यान हटाकर खुद को मजबूत नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि वे राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस आलाकमान से नजदीकी का लाभ उठाना चाहते हैं। विधानसभा चुनावों से पहली अपने आपको बड़े नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।
धार ही रहा है आदिवासी सीएम की मांग का केंद्र
प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को लेकर धार जिला केंद्र बिंदु रहा है। 1980 में स्व. शिव भानु सिंह सोलंकी मनावर से कांग्रेस विधायक थे और उन्हें प्रदेश कांग्रेस विधायक दल का नेता चुन लिया गया था। तब स्व.अर्जुन सिंह को संजय गांधी की निकटता का लाभ मिला और प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया था। इसके बाद प्रदेश में परिवहन मंत्री रहे प्रताप सिंह बघेल और उमंग सिंगार की बुआ कांग्रेस की पूर्व उप-मुख्यमंत्री जमुना देवी लगातार प्रदेश से आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग करती रहीं।