– झांसी के 300 बच्चों का किया गया था परीक्षण

अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। अच्छी शिक्षा के लिए कान्वेंट और निजी स्कूलों को बेहतर माना जाता है। इन स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए अभिभावक मोटा पैसा भी खर्च करते हैं, लेकिन निजी और कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं से पीछे हैं। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की जहां भाषाई पकड़ मजबूत होती है, वहीं गणित के सवाल भी वे चुटकियों में हल कर लेते हैं। हाल ही में मनोविज्ञानशाला प्रयागराज द्वारा कराए गए सर्वे में यह हकीकत सामने आई है। सर्वे में झांसी के शहरी और ग्रामीण इलाकों के 300 छात्र-छात्राओं का परीक्षण किया गया था।

झांसी समेत प्रदेश के 11 मंडलों में परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा चार से आठ तक के विद्यार्थियों की पढ़ाई का स्तर और बुद्धिमत्ता जांचने के लिए सर्वे किया गया था। झांसी के मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के मनोवैज्ञानिक डॉ. मनीष मिश्रा ने बताया कि मनोविज्ञानशाला प्रयागराज ने कान्वेंट स्कूलों के छात्रों का पहले ही सर्वे कर लिया था। हाल ही में झांसी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले तीन सौ विद्यार्थियों का परीक्षण किया गया। इसमें बुद्धिमत्ता और पढ़ाई के मामले में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी निजी स्कूलों के बच्चों के मुकाबले ज्यादा तेज पाए गए।

परीक्षण में सामने आया कि जीवन कौशल बेहतर होने से परिषदीय स्कूलों के बच्चे समाज में बेहतर समायोजन कर लेते हैं। उनमें वस्तुओं और स्थितियों को समझने की क्षमता भी तेज होती है। वहीं परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की हिंदी और गणित पर पकड़ भी बेहतर मिली।

अंग्रेजी में पीछे, अभिभावक भी नहीं देते ध्यान

परीक्षण में पाया गया कि परिषदीय स्कूलों के बच्चों की अंग्रेजी अच्छी नहीं होती है। पढ़ाई के मामले में छात्र-अभिभावक में सहभागिता सामने नहीं आई। ज्यादातर अभिभावक बच्चों का होम वर्क कराने से लेकर पेरेंट्स टीचर मीटिंग तक में जाने से कोई रुचि नहीं रखते।

इतना मिला परिषदीय स्कूल के बच्चों का मानसिक स्तर

स्तर प्रतिशत

औसत से कम 20

औसत 19

औसत से अधिक 20.5

उच्च 19

उच्चतम 21.5



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