इंदौर रोड़ शांति पैलेस के पीछे बड़नगर बायपास रोड पर भगवान श्री हाटकेश्वर महादेव का अति चमत्कारी मंदिर है। जहां भगवान शिव की प्रतिमा पारद से बनी हुई है। लगभग आठ वर्षों पूर्व इस मंदिर की स्थापना शहर के युवा समाजसेवी महेश परयानी के द्वारा करवाई गई थी, जो कि वर्तमान में भी मंदिर में होने वाले हर आयोजन में सहभागिता कर धर्मलाभ अर्जित करते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित कविंद्र भारद्वाज ने बताया कि श्री हाटकेश्वर महादेव का पारद का यह शिवलिंग सभी लिंगों में महालिंग है।
शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि पाषाण से बने शिवलिंग के पूजन अर्चन से 100 गुना अधिक लाभ स्वर्ण से बने शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से मिलता है। जबकि स्वर्ण से बने शिवलिंग की पूजा अर्चना से 100 गुना अधिक फल माणिक से बने शिवलिंग का पूजन अर्चन करने से मिलता है, इसी प्रकार माणिक से 100 गुना अधिक फल पारद शिवलिंग का पूजन अर्चन करने से प्राप्त होता है। यही कारण है कि पारद से बने शिवलिंग को महाशिवलिंग कहा जाता है, जिसका पूजन अर्चन करने से समस्त कष्टों का निवारण हो जाता है। पारद का पूरा अर्थ प यानी विष्णु, आ मतलब ब्रह्मा, र का अर्थ रुद्र और द का अर्थ काली से होता है। यदि हम पारद शिवलिंग का पूजन अर्चन करते हैं, तो इससे हमें सभी देवी देवताओं का पूजन करने का फल प्राप्त होता है। मंदिर में भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती श्री गणेश, कार्तिकेय और नंदी जी की प्रतिमा विराजमान है। वहीं, मंदिर में महामृत्युंजय यंत्र भी स्थापित किया गया है।
मंदिर में भगवान के नित्य अभिषेक पूजन के साथ ही वर्ष भर में आने वाले सभी त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। श्री हाटकेश्वर महादेव, मंदिर में आने वाले सभी भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं। यही कारण है कि कार्य सिद्ध होने से लगातार मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। मंदिर में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान का पूजन अर्चन और दर्शन करने आते है, यहां पंडितों द्वारा आनलाइन अनुष्ठान भी करवाए जा रहे हैं।
अभिषेकात्मक महारुद्र यज्ञ का आयोजन
मंदिर के पुजारी पंडित कविंद्र भारद्वाज ने बताया कि वैसे तो पूरे श्रावण मास ही 35 ब्राह्मणों द्वारा भगवान शिव का नियमित अभिषेक व हवन पूजन किया जाता है, लेकिन इस मास में महारुद्र का एक अनोखा अनुष्ठान मंदिर में होता है, जिसमें लगभग नौ घंटे तक भगवान का विशेष पूजन अर्चन और अभिषेक 1021 छिद्रों के कलश से सहस्त्रधारा के साथ किया जाता है। प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी 6 अगस्त 2023 रविवार को मंदिर में 101 ब्राह्मणों द्वारा सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक अभिषेकात्मक महारुद्र यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें भगवान का 1021 छिद्रों के कलश से आंवला, गन्ना, अनार, गुलाब जल, आम, बेलपत्र, नींबू, संतरा, मौसंबी, खस, चंदन व सर्वऔषधी से सहस्त्रधारा अभिषेक किया जाएगा। पंडित भारद्वाज ने बताया कि इस दिन मंदिर में पूजन अर्चन के बाद दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को भोजन प्रसादी के साथ ही श्री हाटकेश्वर महादेव के उपहार स्वरूप नि:शुल्क रूप से रुद्राक्ष की माला भी वितरित की जाएगी।
शिवरात्रि पर भी होती है चार पहर की पूजा
मंदिर में भगवान का पूजन अर्चन परंपरागत रूप से किया जाता है। यहां हर त्यौहार को धूमधाम से मनाने के साथ ही हर पर्व का उल्लास कुछ अलग ही रूप में दिखाई देता है। बताया जाता है कि महाशिवरात्रि पर्व पर श्री हाटकेश्वर मंदिर में रात के चारों पहर भगवान का विशेष पूजन अर्चन भी किया जाता है।
नागर समाज के इष्टदेव है श्री हाटकेश्वर महादेव
नागर ब्राह्मण समाज के इष्ट देव श्री हाटकेश्वर महादेव हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना के बाद नगर ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से भी इस समाज के लोग बड़ी संख्या में मंदिर पर भगवान का पूजन अर्चन और दर्शन करने पहुंचते हैं, साथ ही समाज के लोगों के द्वारा हाटकेश्वर जयंती पर भी मंदिर में बड़ी संख्या में पहुंचकर पूजन अर्चन कर भगवान के दर्शनों का लाभ लिया जाता है।