Anarkeshwar Mahadev Ujjain gives freedom from hell just by seeing 27th place in 84 Mahadev

अनरकेश्वर महादेव
– फोटो : अमर उजाला

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उज्जैन में इंदिरानगर के पास 84 महादेव में 27वां स्थान रखने वाले अति प्राचीन श्री अनरकेश्वर महादेव का मंदिर विद्यमान है। यहां भगवान की काले पाषाण की प्रतिमा अत्यंत चमत्कारी एवं दिव्य है। मंदिर के पुजारी पंडित रवि त्रिवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि श्री आनंदेश्वर महादेव की महिमा अत्यंत निराली है, जिनके दर्शन करने मात्र से ही नरक से मुक्ति मिल जाती है। यदि सच्चे मन से इनका पूजन-अर्चन किया जाता है तो भक्तों को स्वप्न में भी नर्क के दर्शन नहीं होते तथा 10000 पीढ़ी के लोग शिवलोक में वास करते हैं। 

पुजारी पंडित रवि त्रिवेदी ने बताया कि मंदिर मे भगवान श्री अनरकेश्वर की काले पाषाण की प्रतिमा के साथ ही श्री गणपति जी, पार्वती जी, हनुमान जी के साथ ही नंदी जी की भी प्रतिमा विराजमान है। वैसे तो मंदिर में प्रतिदिन भगवान का विशेष पूजन-अर्चन अभिषेक और महाआरती की जाती है। लेकिन कार्तिक मास में हजारों श्रद्धालु पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर श्री अनरकेश्वर महादेव मंदिर पर दीप प्रज्वलित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि कृष्ण चतुर्दशी पर उपवास रखकर यदि भगवान का पूजन-अर्चन किया जाता है तो मनुष्य 100 जन्म के पापों से भी मुक्त हो जाता है।

महादेव ने पार्वती जी को सुनाई थी श्री अनरकेश्वर महादेव की कथा

एक बार भगवान शिव और माता पार्वती साथ बैठे थे तभी भगवान शिव ने माता पार्वती को उज्जैन में विराजित ऐसे चमत्कारी शिवलिंग की कथा सुनाई थी, जिनके दर्शन व पूजन करने मात्र से ही मनुष्य को कभी नर्क की प्राप्ति नहीं होती है। भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया कि प्राचीन काल मे एक राजा निमी हुए थे, जिन्हें श्राद्ध के दिन दक्षिणा न देने पर सिर्फ नर्क के ऊपर से ले जाया जा रहा था। स्वर्ग जाते समय जब उन्होंने देखा कि कई लोग अपने पाप कर्मों के कारण नर्क में अलग-अलग सजा भुगत रहे हैं, किसी को कोड़े मारे जा रहे हैं तो किसी को खोलते तेल में डाला जा रहा है और किसी के शरीर को कीड़े मकोड़े खा रहे हैं। इस तरह की यातनाएं देखने पर राजा निमि को भी पीड़ा होने लगी।

राजा इस पीड़ा से व्याकुल हो ही रहे थे कि तभी उन्होंने यमराज के दूत से यह प्रश्न किया कि मुझे किन पुण्य फलों के कारण स्वर्ग ले जाया जा रहा है, जिस पर यमदूत ने बताया कि आपने धार्मिक नगरी उज्जैन मे स्थित भगवान अनरकेश्वर का पूजन अर्चन अश्विन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को किया था, जिसके फलस्वरूप आपको स्वर्ग की प्राप्ति हुई है। राजा जब नर्क से आगे की ओर बढ़ने लगे तो पापियों ने उनसे विनम्र आग्रह किया कि महाराज आप यहीं पर रुक जाइए। क्योंकि आपके खड़े रहने भर से जो वायु हमें स्पर्श कर रही है। वह हमें कई प्रकार की पीड़ाओं से मुक्ति दिला रही है।

राजा इतने दयालु थे कि उन्होंने पापियों की यह बात सुनी तो यमदूतों को इस बात से मना कर दिया कि वह उन्हें स्वर्ग ले जाएं। क्योंकि राजा की सोच थी कि जब मेरे खड़े रहने भर से ही लोगों को अच्छे आनंद की प्राप्ति हो रही है तो मैं अपना संपूर्ण जीवन यहीं पर त्याग सकता हूं, लेकिन यमदूत राजा को साथ ले जाना चाहते थे फिर भी राजा ने जब पापियों के उद्धार का उपाय पूछा तो यमदूत ने उन्हें बताया कि यदि आप अपने पुण्य फल सभी पापियों को दान कर देते हैं तो इन सभी को इस नर्क योनि से मुक्ति मिल सकती है। भगवान श्री अनरकेश्वर के पुण्य प्रताप से राजा निमि ही नहीं बल्कि नर्क में यातनाएं भुगत रहे अनेकों लोगों को इस यातना से मुक्ति मिल गई।



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