कोंच। वागीश्वरी साहित्य परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित की गई। जिसमें कवियों, साहित्यकारों और शायरों ने अपनी अनूदित रचनाओं से श्रोताओं को आनंदित किया। गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था अध्यक्ष अरुण कुमार वाजपेयी ने की। मुख्य अतिथि सुनील पाठक रहे। गोष्ठी का संचालन संतोष तिवारी ने किया।
राजेंद्र सिंह गहलोत रसिक ने सरस्वती वंदना से गोष्ठी को गति प्रदान की। कवि राजेश चंद्र गोस्वामी ने सुनाया-सूखा सागर सूखी गागर, सूखा नदिया का नीर, अब मृगजल मिटाता प्यासे की पीर। कवि नरेंद्र मोहन मित्र ने रचनापाठ किया-गतिमय सृष्टि, अवरोध जहां, प्रकृति लेती, प्रतिशोध वहां।
डॉ. हरिमोहन गुप्त ने सुनाया-इंसानियत में ढूंढ़िएगा मैं वहीं मिल जाऊंगा, क्यों व्यर्थ मुझको खोजते हो अपने अपने मजहबों में। चित्तर सिंह निरंजन ने रचना बांची- इरादा है तो पहले डर निकालो, उड़ना चाहते हो तो पर निकालो। नंदराम भावुक, वैदेही शरण लौहकर, आशाराम मिश्रा, मुन्ना यादव विजय, ओंकारनाथ पाठक, मोहनदास नगाइच, भास्कर सिंह माणिक्य, जुगिंदर सिंह, सुनील पाठक आदि ने भी कविता पाठ किया।
आभार मयंक मोहन गुप्ता ने जताया। इस दौरान श्रीराम सेठ, आशीष गुप्ता, मनोज दूरवार, ओमप्रकाश अग्रवाल, चंदू रावत, रामबिहारी सोहाने, राजू रेजा, संतोष राठौर, कृष्ण कुमार आदि मौजूद रहे।