Four years imprisonment for black money of four crores lokayukt

लाखनसिंह राजपूत
– फोटो : अमर उजाला, इंदौर

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आय से अधिक संपत्ति के मामले में इंदौर संभाग की जनपद पंचायत सेंधवा के तत्कालीन सीईओ लाखनसिंह राजपूत (65) को इंदौर कोर्ट ने 4 साल की सजा और 2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। लाखनसिंह राजपूत वर्ष 1996 से 2007 तक बड़वाह जनपद में वरिष्ठ कृषि विभाग में और साल 2007 से 2011 तक जनपद पंचायत सेंधवा जिला बड़वानी में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर पदस्थ रहा। आय से अधिक संपत्ति मामले में लोकायुक्त पुलिस ने इंदौर में प्रकरण पंजीबद्ध किया था। लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी लाखनसिंह के यहां 11 नवंबर 2011 को छापा मारा। तब वह सेंधवा में सीईओ था। 

फर्जी बैंक खातों से पांच करोड़ की शासकीय राशि का गबन किया

लाखनसिंह ने बड़वानी जिले में जनपद पंचायत सेंधवा की ग्राम पंचायतों से फर्जी खाते बैंकों में खुलवाए थे। उसने 5 करोड़ 21 लाख, पचास हजार की शासकीय राशि का गबन किया था। जिसमें तत्कालीन जनपद सीईओ लाखनसिंह सहित 49 अन्य आरोपी भी शामिल थे। 

आईडीए से खरीदा 1.98 करोड़ का प्लाट

आईडीए से प्लाट खरीदने के बाद लाखनसिंह रडार पर आ गया था। लाखनसिंह ने बेटे के नाम से इंदौर में करीब 15 हजार वर्गफीट का भूखंड खरीदा। आईडीए इंदौर में यह आवासीय सह व्यवसायिक प्लाट था जिसके बदले में उसने 1.98 करोड़ रुपए चुका दिए थे। इससे सभी हैरान थे कि जितनी कमाई पूरी जिंदगी की नौकरी में नहीं हुई, उससे कई गुना महंगा प्लाट कैसे खरीद लिया? इसके बाद छापा पड़ा। 

राजसात होगी पूरी संपत्ति

जब लोकायुक्त ने उसकी पूरी संपत्ति खंगाली तो वह 4.58 करोड़ रुपए की निकली। दूसरी तरफ आय की छानबीन हुई तो पगार से 23 लाख रुपए और अन्य स्रोतों से 14 लाख रुपए पाना पाया गया। लोकायुक्त ने 38 लाख रुपए आय मानी और पूछा कि बाकी के 4.20 करोड़ की संपत्ति कहां से लाए? यह उसकी संपत्ति की 831 प्रतिशत ज्यादा थी। ये संपत्ति भी इसी आधार राजसात कर दी जाएगी।

जिस बेटे के नाम संपत्ति ली उसी ने मदद नहीं की, फिर लापता हो गया

आरोपी लाखनसिंह दस्तावेजों में हेराफेरी करने के मामले में फिलहाल बड़वाह जेल में बंद है। केस लड़ने के लिए जब उसे रुपए की जरूरत पड़ी तो उसने बेटे नेत्रपाल से पैसे मांगे। उसने अपनी पूरी संपत्ति नेत्रपाल के नाम से ही खरीदी थी लेकिन नेत्रपाल ने मदद करने से इनकार कर दिया। इसके बाद लाखनसिंह खुद ही बेटे के फर्जी हस्ताक्षर करके संपत्ति बेचने लगा। 2015 में जब बेटा नेत्रपाल लापता हुआ तो संपत्ति बेचने की जानकारी बहू मनोजबाई को लगी। इस पर मनोजबाई ने पुलिस से शिकायत कर दी। इसी दौरान नेत्रपाल लापता हो गया। परिजनों ने गुमशुदगी दर्ज कराई, लेकिन आज तक उसका कुछ पता नहीं चला। कानूनी तौर पर उसकी सिविल डेथ हो चुकी है।



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