
गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल
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राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज से गायनेकोलॉजी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाली जूनियर डॉक्टर डॉ. बाला सरस्वती द्वारा आत्महत्या करने का मामला अभी थमा नहीं है और एमबीबीएस इंटर्न ‘प्रशिक्षु डॉक्टर’ एक और डॉक्टर ने आत्महत्या का प्रयास कर लिया। हमीदिया अस्पताल के ट्रामा सेंटर में उसका इलाज चल रहा है, जहां उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। आत्महत्या की कोशिश से पहले एमबीबीएस के इंटर्न डॉ. कार्तिक ने डॉ. बाला सरस्वती को लेकर न्याय की मांग करने के साथ अपने वॉट्सएप स्टेटस में लिखा कि एक मेडिकल कॉलेज कब्रिस्तान न बन जाए। डॉ. कार्तिक ने दवाइयों का ओवरडोज लिया है। आत्महत्या की कोशिश करने वाले डॉक्टर ने गांधी मेडिकल कॉलेज से ही एमबीबीएस की डिग्री पूरी की है। जानकारी के अनुसार डॉ. कार्तिक इसी साल गांधी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद इंटर्नशिप कर रहे हैं। डॉक्टर कार्तिक का मानसिक बीमारी का इलाज भी चल रहा है। वे लंबे समय से डिप्रेशन में हैं। उन्होंने जो दवा बीमारी के लिए लेते थे, उन्हीं दवाओं का ओवर डोज लेकर आत्महत्या की कोशिश की।
क्या लिखा स्टेटस में
आत्महत्या की कोशिश करने से पहले डॉ. कार्तिक ने अपने वॉट्सएप स्टेटस पर लिखा कि बदलाव के लिए एकजुट। जीएमसी, भोपाल में सात महीने में दो सुसाइड। शर्मनाक। दोषियों को सजा दो। डॉ. सरस्वती के लिए न्याय। प्लीज रीपोस्ट, इससे पहले कि एक मेडिकल कॉलेज कब्रिस्तान में बदल जाए। जस्टिस फॉर डॉ. सरस्वती। इसके बाद उन्होंने आगे लिखा कि- द लास्ट कॉल, द लास्ट टेक्स्ट, द लास्ट हेलो, द लास्ट गुड बाय एंड द लास्ट ब्रीथ।
इनका कहना है
गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन अरविंद राय ने कहा कि डॉ. कार्तिक कोहेफिजा क्षेत्र में दोस्तों के साथ रहते हैं। दोस्त ही उन्हें अस्पताल लेकर आए हैं। डॉ. कार्तिक एक निजी चिकित्सक से दवाएं ले रहे हैं। उनको कुछ व्यक्तिगत और कुछ पारिवारिक समस्याएं हैं, ऐसा पता चला है। उनकी हालत स्थित है।
कमलनाथ बोले सरकार बच्चों का जीवन बचाए
पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि राजधानी के गांधी मेडिकल कालेज में फिर एक डाक्टर कार्तिक द्वारा आत्महत्या के प्रयास का समाचार दुर्भाग्यपूर्ण है। एक सप्ताह में दूसरे डाक्टर द्वारा यह कोशिश कालेज के अंदरूनी हालात पर रोशनी डालती है। सरकार से अपेक्षा है कि वह बच्चों का जीवन बचाये। यह भी बताये कि स्यूसाइड प्रिवेन्शन कार्यक्रम की घोषणा का क्या हुआ? क्या शिवराज जी बतायेंगे कि विगत तीन साल में कितने डाक्टर्स ने पढ़ाई छोड़ दी? कितने बच्चों ने कालेज बदला? कितनों ने ट्रांस्फर लिया?इसकी सूची जारी करें और स्वयं रास्ता निकालें।