
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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उज्जैन में सात साल पहले लोकायुक्त पुलिस ने नानाखेड़ा क्षेत्र में स्थित एक चाय की दुकान से एक पटवारी को पांच हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। यह पटवारी शासकीय जमीन को कंप्यूटर के रिकॉर्ड से हटाने के नाम पर यह रिश्वत ले रहा था, जिसे शिकायतकर्ता द्वारा दी गई सूचना के बाद लोकायुक्त पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
मामले में माननीय विशेष न्यायाधीश संजय राज ठाकुर के न्यायालय में पूरे मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसमें माननीय न्यायाधीश ने आरोपी भैरू सिंह परमार तत्कालीन पटवारी हल्का नंबर 108 तहसील महिदपुर जिला उज्जैन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा सात में तीन साल का का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड तथा धारा-13 (1) डी, धारा 13 (2) में चार साल का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड तथा दोनों धाराओं में व्यतिक्रम में 6-6 महीने की सजा के अर्थदंड से दंडित किया गया। आरोपी को जेल वारंट कर जेल भेजा गया।
लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि महिदपुर तहसील के ग्राम जवासिया सोलंकी निवासी कमल पुत्र समंदर खाबरिया और उसके चचेरे भाई तेजूलाल पुत्र अनारजी को साल 2001 में सरकार ने पांच और 4.5 बीघा जमीन का पट्टा दिया था। साल 2012 में कमल की ढाई बीघा और तेजूलाल की चार बीघा जमीन को गलती से रिकार्ड में सरकारी घोषित कर दिया गया था। हल्का नंबर 108 के पटवारी भैरू सिंह परमार ने रिकार्ड सही करने की एवज में 20 हजार रुपये की मांग की थी। 11 नवंबर 2016 को कमल और उसके भाई ने लोकायुक्त को इसकी शिकायत की थी।
कमल के अनुसार, 15 हजार रुपये में बात तय हुई थी। 17 नवंबर 2016 की सुबह कमल को पटवारी भैरू सिंह ने इंदौर रोड पर नानाखेड़ा बस स्टैंड के समीप पेट्रोल पंप पर बुलाया था। कमल जैसे ही पेट्रोल पंप पर पहुंचा तेजू सिंह ने उसे सी 21 मॉल के समीप चाय की दुकान पर बुला लिया। कमल ने घूस के पांच हजार रुपये दिए। इनमें दो-दो हजार के दो नए नोट और 100 रुपये के 10 नोट शामिल थे। इसे पटवारी ने पैंट की जेब में रख लिए। घूस देने के बाद सिर पर हाथ फेरते ही लोकायुक्त ने पटवारी को गिरफ्तार कर लिया था।