ललितपुर। अपनी सुंदरता और नाम के बलबूते दूर-दूर तक प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका चंदन वन पर्यटन विभाग की उदासीनता के कारण गुमनामी का शिकार हो गया है। जिले को प्राकृतिक सुंदरता के क्षेत्र में पहचान दिलाने में चंदन वन का विशेष महत्व रहा है, लेकिन आज के समय में चंदन वन अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

बार ब्लॉक क्षेत्र में स्थित चंदन वन में कभी 2200 पेड़ चंदन के लगे थे लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते चोरों ने अधिकांश पेड़ काट लिए। मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद यहां की देखरेख बढ़ गई आज करीब 300 से अधिक पेड़ चंदन के लगे लेकिन जो खुशबू पहले थी अब वह गायब हो गई है। आज आलम यह है कि करीब 200 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बने वन विश्रामगृह को जाने वाली करीब डेढ़ किमी खस्ताहाल सड़क अब टूट रही है सड़क की बाउंड्री न होने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

धारावाहिक ”मुझे चांद चाहिए” की हो चुकी है शूटिंग

बार ब्लॉक क्षेत्र में चंदन वन पांच हेक्टेयर की जमीन में फैला है। यह एकमात्र ऐसा वन है, जिसमें चंदन के पेड़ हैं। 30 वर्ष पूर्व इस वन में दूरदर्शन के प्रसिद्ध धारावाहिक ‘मुझे चांद चाहिए’ की शूटिंग हो चुकी है। एक समय ऐसा था जब यहां बड़ी तादाद में दूर दराज से सैलानी आते थे। वन में हजारों चंदन के पेड़ों के अलावा कई अन्य प्रजातियों के पेड़ मौजूद थे। वर्तमान में चंदन के बेशकीमती पेड़ों को अराजकतत्वों ने ठिकाने लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साथ ही चंदन के अलावा शीशम, अर्जुन की छाल जो दवाओं के निर्माण में विशेष काम आते हैं, उनका भी दोहन किया गया।

वन्य जीवों की प्रजातियां भी हैं इस वन में

चंदन वन में बड़ी संख्या में हिरन, बारहसिंघा, मोर, चीतल, बंदर, नीलगाय आदि कई प्रजातियों के जानवर मौजूद थे। आज उनकी संख्या कागजों में भले ही कुछ और हो, लेकिन हकीकत में उनकी संख्या दहाई का अंक भी पार नहीं कर पा रही है। बार प्रधान रमेश सहरिया, सुदामा प्रसाद मिश्रा, बृजेंद्र सिंह सिसौदिया, यादवेंद्र सिंह, प्रमोद पांडेय आदि ने कहा कि अगर चंदन वन को फिर से सही तरीके से रखरखाव कर पुन: पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो यहां पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। इससे यहां के स्थानीय निवासियों को रोजगार भी मिल जाएगा।

बुंदेलखंड की शिमला के नाम से प्रसिद्ध था चंदन वन

वन विभाग ने यहां पर वर्ष 1966 में वन विश्रामगृह का निर्माण करीब 200 मीटर की ऊंची पहाड़ी पर कराया था। यहां तक पहुंचने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी घुमावदार सड़क का निर्माण भी हुआ था। वन विश्राम गृह में दो शयनकक्ष, रसोई गृह, बैठक, बरामदा एवं डायनिंग हॉल का निर्माण हुआ था। उस समय विश्राम गृह की फुलवारी, घास की सुंदरता को देखकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते थे। जब घूमने वाले लोग बाहर से मेहमानों को लेकर चंदन वन के रेस्ट हाउस पर पहुंचते थे तो रेस्टहाउस से एक तरफ तालाब और दूसरी तरफ घना जंगल देखकर लोग चंदन वन को बुंदेलखंड का शिमला की संज्ञा देते थे। जंगल की निगहबानी के लिए कर्मचारी तैनात थे।

चंदन वन सहित जनपद के कई अन्य पर्यटन स्थलों के लिए ई टूरिज्म प्लान तैयार करा रहे हैं जिससे बाहर से आने वाले पर्यटकों को यहां सुविधाएं मिल सकें। – गौतम सिंह, प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी



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