ललितपुर। गांवों में बिजली व्यवस्था बेहतर करने के लिए सात नए फीडर बनाए गए हैं। अभी तीन नए फीडर और बनाए जाने हैं। इन फीडरों का निर्माण रीवैंप योजना के तहत किया गया है। इस पूरी योजना पर 113 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। इनमें पहले चरण में 22.60 करोड़ से बिजली के जर्जर तार बदले जाने थे। दूसरे और तीसरे चरण में 90.40 करोड़ से जर्जर बिजली के खंभों और ट्रांसफार्मरों को बदलने का काम किया जाना था।

जिले में अब तक अधिकांश स्थानों पर घरेलू और खेती की सिंचाई के लिए एक ही फीडर थे। इससे लो वोल्टेज के कारण नलकूप ठीक से नहीं चल पाते हैं। खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है। साथ ही मोटर नहीं चलने से जलापूर्ति भी बाधित हो जाती है। ग्रामीणों को पानी के लिए हैंडपंपों का सहारा लेना पड़ता है। इनमें ज्यादातर फीडर ओवरलोड से जूझ रहे हैं।

बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक रीवैंप योजना से ओवरलोड ग्रामीण फीडरों को अलग-अलग करके ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इनमें विद्युत वितरण खंड द्वितीय के अंतर्गत आने वाले बिरधा उपकेंद्र के तहत दो, मड़ावरा उपकेंद्र के तहत में दो, पाली उपकेंद्र में एक, महरौनी उपकेंद्र में एक और मिर्चवारा उपकेंद्र के अंतर्गत एक अलग फीडर खेती के लिए बन गया है।

महरौनी उपकेंद्र में दो और बाईपास उपकेंद्र के अंतर्गत बन रहे एक फीडर का निर्माण कार्य जारी है। जल्द ही वन विभाग से बिजली लाइन निकालने की स्वीकृति मिलते ही लाइन बिछाने का कार्य शुरू हो जाएगा। अफसरों का कहना है कि बिजली लाइन बिछाने के कारण खेती के लिए अलग फीडर की लाइन चालू होने के बाद ग्रामीण इलाकों की बिजली आपूर्ति का लोड कम हो जाएगा। इससे फॉल्ट में कमी आएगी और सप्लाई भी बेहतर मिलेगी। अधीक्षण अभियंता संजय सिंह ने बताया कि खेती के लिए बनाए जा रहे दस फीडरों में सात फीडरों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अन्य तीन निर्माणाधीन है। इससे ओवरलोड कम होने से ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति बेहतर होगी।



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