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सिंहस्थ महापर्व 2028 के पूर्व मोक्षदायिनी मां शिप्रा को प्रवाहमान एवं स्वच्छ बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार भले ही कुछ न करे, लेकिन शिप्रा नदी संरक्षण अभियान के शिप्रा मित्र और साधु संतों ने इसका बीड़ा उठाया है। ये सभी मिलकर कुछ ऐसे कार्य कर रहे हैं, जिससे मां शिप्रा से 22 से अधिक सहायक नदियों को जोड़ा जाएगा ताकि सिंहस्थ महापर्व के दौरान मां शिप्रा के जल से ही साधु संत और श्रद्धालु स्नान कर आस्था की डुबकी लगा सकें। वैसे तो यह अभियान 2 सालों से जारी है, लेकिन 10 जून 2023 को साधु संतों की विशेष उपस्थिति में जल जन जागरण यात्रा का आयोजन होने वाला है जिसके अंतर्गत चंद्रभागा का जल मां शिप्रा में अर्पित किया जाएगा। 

श्री सिद्धक्षेत्र वाल्मीकि धाम के संस्थापक बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने बताया कि मां शिप्रा को प्रवाहित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य है जल से जन को जोड़ने का और यह कार्य संत समाज के बिना संभव नहीं है। इसीलिए वे स्वयं एवं महामंडलेश्वर संत शांतिस्वरूपानंद महाराज, रामानुज कोट पीठाधीश्वर रंगनाथाचार्य महाराज, भृर्तहरी गुफा के गादीपति महंत रामनाथ महाराज, महाकालेश्वर मंदिर अखाड़े के प्रमुख महंत विनीत गिरि महाराज, हिंदुत्व प्रहरी एवं महामंडलेश्वर आचार्य शेखर महाराज, महामंडलेश्वर एवं दादू आश्रम के प्रमुख ज्ञानदास महाराज, मोनतीर्थ पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी सुमनानंद सुमन भाई, महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज, महावीर नाथ महाराज ऋणमुक्तेश्वर, भारत माता मंदिर उड़ाना की संस्थापक साध्वी हेमलता दीदी ब्रम्हाकुमारिज ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मंजू दीदी, गायत्री परिवार सहित विभिन्न अखाड़ों के महंत के मार्गदर्शन में सभी संत समाज और आसपास के ग्रामीणजनों एवं उज्जैन के नगरवासियों को साथ लेकर जल-जन जागरण यात्रा का आयोजन होगा। 

 



यह यात्रा 10 जून 2023 शनिवार को दोपहर तीन बजे चंद्रभागा उद्गम स्थल मोहनपुरा बड़नगर रोड से प्रारंभ होकर मोहनपुरा, सिंहस्थ बायपास, नदी किनारे-किनारे मुरलीपुरा, यहां से सदावल, सीवेज फार्म, कार्तिक मेला, कालिदास उद्यान से रणजीत हनुमान मंदिर मार्ग पर सोमतीर्थ पर समापन एवं तत्पश्चात आरती एवं प्रसादी का आयोजन होगा। क्षिप्रा को प्रवाहमान बनाने के लिए नदी की सहायक नदियों पर कार्य किया जाना आवश्यक है। इस अभियान से जुड़े सदस्यों ने चंद्रभागा के अलावा दुधेश्वरी, गांगी, पिंगला, फल्गू, नरवर गंगा, अलूनी, नीलगंगा सहित 22 से ज्यादा सहायक नदियों और जल स्त्रोतों को चिन्हित किया है जिन्हें जल्द ही मां शिप्रा से जोड़ा जाएगा। 

200 किलोमीटर क्षेत्र में चल रहा है मां शिप्रा को पुनर्जीवित करने का काम

बताया जाता है कि लगभग 2 वर्षों पूर्व शिप्रा नदी संरक्षण अभियान की शुरुआत हुई थी जिसके तहत शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों से भी अधिक से अधिक लोगों को इस अभियान से जोड़ा गया और यह बताया गया कि सभी लोग अपने अपने स्तर पर मां शिप्रा को पुनर्जीवित करने के प्रयास करें। शिप्रा नदी संरक्षण अभियान से जुड़े सोनू गहलोत ने बताया कि उद्देश्य अच्छा हो तो सभी कार्य अच्छे ही होते हैं। मां शिप्रा को पुनर्जीवित करने के लिए हमने किसान, व्यापारी और हर वर्ग से जुड़ाव किया। उन्हें इस बात के लिए समझाया कि यदि मां शिप्रा से मिलने वाली सहायक नदियां पुनर्जीवित होंगी तो फिर मां शिप्रा भी सदा प्रवाहमान रहेंगी। आपने बताया कि पटवारी के माध्यम से हमने 22 ऐसे स्थान चिन्हित किए हैं। जिन स्थानों पर कार्य करने से मां शिप्रा भी प्रवाहमान हो जाएगी। इसके लिए हमने शिप्रा मित्र बनाए और उन्हें यह समझाया कि मां शिप्रा को प्रवाहमान करना आखिर कितना जरूरी है। वर्तमान में उज्जैन की चंद्रभागा के साथ ही ग्राम चंदेसरा, नरवर और मां शिप्रा के उद्गम स्थल पर भी मां शिप्रा की सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। 

 


जनसहयोग से हो रहा स्टॉपडैम का निर्माण

क्षिप्रा नदी संरक्षण अभियान के शिप्रा मित्र सोनू गहलोत ने बताया कि यात्रा के दौरान जहां चंद्रभागा नदी का जल लेकर क्षिप्रा तट स्थित सोमतीर्थ में अर्पित किया जाएगा, वहीं स्थान-स्थान पर पौधारोपण भी किया जाएगा। वहीं जन सहयोग से बनाए गए स्टॉपडेम का लोकार्पण और भूमिपूजन होगा। गहलोत ने बताया कि नदी पर कच्चे और पक्के स्टॉपडैम का निर्माण जन सहयोग से  किया जा रहा है। साथ ही नदी के दोनों किनारों पर 50 हजार से ज्यादा पौधे लगने वाले हैं। इस कार्य में भी जन सहयोग लिया जा रहा है। 10 जून को यात्रा के दौरान लगभग 1 हजार पौधे रोपे जाएंगे और यह अभियान सतत जारी रहेगा। 

सांसद बोले- सरकार से दिलाऊंगा सहयोग 

मां शिप्रा की सहायक नदी चंद्रभागा पर श्रमदान करने के लिए पहुंचे सांसद अनिल फिरोजिया ने घोषणा की थी कि वे चंद्रभागा सहित सभी सहायक नदियों के पुनर्जीवन अभियान में सहभागिता प्रदान करेंगे और राज्य एवं केंद्र सरकार से उचित सहयोग दिलवाएंगे। 

अगला सिंहस्थ क्षिप्रा जल से होगा शांतिस्वरूपनंद जी 

महामंडलेश्वर संत शांतिस्वरूपानंद जी ने कहा कि चंद्रभागा से जलधारा प्रकट होना बहुत ही खुशी की बात है और यदि अन्य स्थानों पर भी इस प्रकार के जन सहयोग से कार्य हो जाते हैं तो आने वाले समय में शिप्रा फिर से बहने लग जाएगी और आने वाला सिंहस्थ का आयोजन शिप्रा के जल से ही होगा।

 


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