
(सांकेतिक तस्वीर)
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कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश केएन सिंह की अदालत ने अपने एक आदेश में कहा है कि कामकाजी महिला भी भरण-पोषण राशि की हकदार है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी मासिक आय पति की तुलना में कम है। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए पति को आदेश दिया जाता है कि वह अपनी पत्नी को प्रतिमाह भरण-पोषण राशि प्रदान करे।
यह मामला जबलपुर रामपुर निवासी निधि बहरेलिया की ओर से दायर किया गया था। इसमें कहा गया था कि आवेदिका का विवाह 28 अप्रैल, 2016 को अनावेदक सुमित बहरेलिया के साथ हुआ था। विवाह के बाद ससुराल पक्ष की ओर से दहेज कम लाने को लेकर प्रताड़ित किया जाने लगा, जिससे उनके आपसी जीवन में खटास आ गई। जब यह बात आवेदिका के माता-पिता को पता चली तो उन्होंने अपनी बेटी को अपने पास बुला लिया। आवेदिका संविदा कर्मी के रूप में कार्यरत है। इस नौकरी से इतनी आमदनी नहीं होती कि जीवन-यापन किया जा सके। जबकि अलग रह रहा पति तीन तरह के कार्यों से काफी आमदनी अर्जित करता है। इसलिये उसे भरण-पोषण राशि अदा करने आदेश दिया जाए। कुटुम्ब न्यायालय ने सभी दस्तावेजों पर गौर करने के बाद पत्नी के दावे में सच्चाई पाते हुए पति को आदेश दिया कि वह पत्नी को मासिक भरण-पोषण राशि का भुगतान करे। आवेदिका की ओर से अधिवक्ता संदेश दीक्षित ने पक्ष रखा।