
महाकाल महालोक की मूर्तियों को पीछे से काटकर देखी गई गुणवत्ता।
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उज्जैन के महाकाल महालोक में 28 मई को सप्तऋषि की सात में से छह मूर्तियां टूट गई। इसका मामला ठंडा भी नहीं हुआ कि नया विवाद सामने आ गया है। लोकायुक्त की टीम ने शनिवार को महालोक पहुंचकर मूर्तियों की गुणवत्ता जांच की। इसके लिए उन्होंने मूर्तियों को खंडित कर दिया। अब सवाल उठ रहा है क्या यह मूर्तियां भी ठेकेदार नए सिरे से बनाकर देंगे क्योंकि भारतीय संस्कृति में कभी भी खंडित प्रतिमा की पूजा नहीं की जाती है।
उज्जैन में 28 मई को आंधी-तूफान आया था। इससे सबसे ज्यादा नुकसान महाकाल महालोक को हुआ, जिसका लोकार्पण 11 अक्टूबर 2022 को स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। सप्तऋषि की सात में से छह मूर्तियां गिरकर टूट गई। किसी का हाथ तो किसी का सिर खंडित हो गया। अन्य मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचा है। किसी का रंग उतर गया है तो किसी मूर्ति को हवाओं की वजह से क्षति पहुंची है। इस बीच, कांग्रेस ने इस मामले को भ्रष्टाचार बताते हुए शिवराज सिंह चौहान सरकार पर जमकर आरोप लगाए। महालोक में किए गए कामों की शिकायत लोकायुक्त में भी हुई थी। यह सब चल ही रहा था कि शनिवार को भोपाल से लोकायुक्त की टीम महाकाल महालोक की जांच करने पहुंच गई। स्मार्ट सिटी के डायरेक्टर नीरज पांडे की मौजूदगी में लोकायुक्त की टीम ने रावण द्वारा कैलाश पर्वत को उठाने एवं मारकंडेश्वर शिव की मूर्तियों के पिछले हिस्से को कटवाया और जांच की। मूर्तियों के अंदर लोहे के पाइप लगे थे। इस वजह से उन्हें बाहर से नुकसान नहीं पहुंचा था। जांच के बाद इन दोनों मूर्तियों के काटे गए हिस्से को फिर से लगवाया गया। अब उज्जैन के साधु-संत इस पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि खंडित प्रतिमा को नहीं रखा जाता है। यह अशुभ होता है। ऐसे में खंडित प्रतिमा को महालोक में कैसे रखा जा सकता है? जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज ने कहा कि प्रदर्शनी के स्थल पर चित्र व प्रदर्शनी किसी भी तरह की लगाई जा सकती है। लेकिन पूजनीय स्थल पर ऐसा नहीं होता है। महाकाल लोक से लाखों-करोड़ों लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है। इस स्थल पर कोई भी खंडित प्रतिमाएं नहीं लगना चाहिए।
सप्तऋषि की मूर्ति बदलने की घोषणा कर चुके हैं सीएम
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह पहले ही कह चुके हैं कि खंडित मूर्तियों को महाकाल लोक में स्थापित नहीं किया जाएगा। इस वजह से सप्तऋषि की मूर्तियों का निर्माण दोबारा किया जा रहा है। लोकायुक्त टीम ने शनिवार को इंच-टेप से यह भी देखा कि लेयर कितने मिलीमीटर की है। दरअसल, कुछ मूर्तिकारों ने दावा किया था कि जब दस मीटर ऊंचाई पर मूर्तियों को रखा जाता है तो मोटाई आठ एमएम की होनी चाहिए। हालांकि, उनके मुताबिक महाकाल महालोक में लगी मूर्तियों में परत की मोटाई तीन मिमी ही रखी गई थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि लोकायुक्त ने जिन मूर्तियों को खंडित किया है, उन्हें बदला जाएगा या खंडित मूर्तियों को ही महाकाल महालोक में रहने दिया जाएगा।