Ujjain News: The ancient Pashupatinath temple disappeared overnight from the Mahakal temple premises

मंदिर के नाम पर सिर्फ ओटला बचा है।
– फोटो : अमर उजाला

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श्री महाकाल महालोक से सप्तऋषियों की मूर्तियां हवा मे उड़ने के बाद अब श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर से प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर गायब हो गया। मंदिर किसने तोड़ा, रातों-रात उसका मलबा कहां गायब हो गया, इन सवालों के जबाव देने वाला कोई नहीं है। बताया जा रहा है कि बुधवार की शाम तक तो जूना महाकाल मंदिर के सामने नंदी प्रतिमा के पीछे यह अति प्राचीन मंदिर था, लेकिन गुरुवार सुबह इसे हटा दिया गया है। इस मंदिर को पशुपतिनाथ के रूप में जाना जाता था, जहां भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ मां पार्वती, भगवान श्रीगणेश और नंदी की प्राचीन प्रतिमाएं भी विराजित थीं। लेकिन वर्तमान में अब न तो पशुपतिनाथ मंदिर की छत बची है और ना ही भगवान शिव के साथ लगी अन्य प्रतिमाएं। 

रातों रात हटा दी प्रतिमा और तुड़ाई का मटेरियल

बताया जा रहा है कि प्रतिदिन की तरह जब मंदिर में पूजा पाठ करने वाले यहां पहुंचे तो मंदिर को देखकर आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि यहां मंदिर के नाम पर सिर्फ एक ओटला ही बचा हुआ था। मंदिर में मां पार्वती, श्रीगणेश और भगवान नंदी की प्रतिमाएं भी गायब थीं। क्षतिग्रस्त ओटले पर सिर्फ भोलेनाथ की मूर्ति विराजित थीं। खास बात तो यह है कि मंदिर तोड़ने का वहां कोई अवशेष भी नहीं था। प्राचीन पिलर, मंदिर की छत, मूर्तियां, आदि कोई भी सामग्री वहां नहीं छोड़ी थी। सभी को रातों रात हटा दिया गया।

प्रबंध समिति का ऐसा भय कि कोई भी विरोध करने को तैयार नहीं

पशुपतिनाथ का मंदिर तोड़े जाने से पंडे-पुजारियों मे तीखा आक्रोश देखा गया, लेकिन मंदिर समिति द्वारा इन दिनों जिस तरह भय का माहौल बनाया जा रहा है, उस कारण कोई भी घटना के विरोध में खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।

जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी

इस मामले में महाकाल मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी से चर्चा करने प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। उन्हें मैसेज किया गया तो भी उनके द्वारा घटना के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गई। जिससे स्पष्ट है कि मंदिर तोड़ने का मामला समिति की जानकारी में हैं, लेकिन इसे दबाया जा रहा है।

मंदिर तोड़ने का कृत्य बेहद निंदनीय – चौबे

अति का अंत बहुत बुरा होता है। मंदिर प्रशासन द्वारा प्राचीन मंदिरों को तोड़ने का कृत्य बेहद निंदनीय है। यह बात हिंदूवादी नेता और बजरंग दल संयोजक अंकित चौबे ने कही और बताया कि एक तरफ प्राचीन मंदिरों के सामने बेरीगेट लगाकर श्रदालुओं को दर्शन नहीं करने दिए जा रहे वहीं दूसरी और महाकाल लोक के लिए सभी रास्ते खुले कर वहां गार्डो की व्यवस्था कर रखी है, मंदिर प्रशासन धीरे-धीरे प्राचीनता खत्म करने पर लगी है। जल्द अगर यह व्यवस्था न रोकी तो अंजाम बहुत विपरीत होगा।



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