अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। शुक्रवार की रात को भरी पंचायत में चली गोली ने एक जान ले ली, लेकिन एक बेजोड़ दांपत्य की कहानी अमर कर दी। सुखमारी ने 65 साल की उम्र में पति पर चलाई गई गोली अपनी छाती पर झेलकर उनकी जान बचा ली। 70 साल के नारायण अस्पताल में उनकी याद में फफक रहे हैं। 52 साल पहले मायके से विदाई के वक्त सुखमारी की मां ने कहा था कि साये की तरह इनके साथ रहना। अब यही तुम्हारे सब कुछ हैं। सुखमारी ने जान देकर अपना सब कुछ बचा लिया। इलाके के घर घर में उनकी कहानी सुनते सुनाते हजारों जोड़ी आंखों में मानसून उतर रहा है।
अगर परिवार वालों की मानें तो सुखमारी 13 साल की उम्र में नारायण के साथ ब्याह कर आई थी। उसके पति नारायण की उम्र उस वक्त 17 साल थी। मेडिकल कालेज के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती नारायण सिंह (70) फूट-फूटकर रो रहे हैं। जो भी उनके पास पहुंचता है उससे सिर्फ एक ही बात कहते हैं…मैं अपनी सुखमारी को नहीं बचा सका। मैने उससे मना किया था कि रात हो रही है घर पर रहो, मैं पंचायत निपटाकर लौट आऊंगा। लेकिन कहने लगी कि अकेला नहीं जाने दूंगी। वह भी पीछे पीछे आ गई। पंचायत में पहुंचते ही हमलावरों ने हथियार निकाल लिए। दो लोग फायरिंग करने लगे। इसी दौरान सुखमारी ने उसे पीछे धकेल दिया और खुद आगे आ गई और एक गोली उसके सीने में जा लगी, जिससे वह लहूलुहान होकर मौके पर ही गिर गई। जबकि, गोली लगने से वह घायल हो गया था। नारायण ने बताया कि सबकुछ इतनी जल्दी हुआ कि वह पत्नी की जान बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पाया। इसका उसे हमेशा मलाल रहेगा। बता दें कि नारायण के तीन बेटे और एक बेटी है। घटना के समय दो बेटे और बेटी मुंबई में थे। जबकि, एक बेटा बृजेंद्र सिंह मऊरानीपुर में था। वृद्ध दंपती घर पर अकेला रहता था। परिवार के लोग आते जाते रहते थे। परिवार वालों ने बताया कि जमीन को लेकर विवाद था। पहले भी कई दफा पंचायत हो चुकी लेकिन हल नहीं निकला। परिवार वालों ने बताया कि सुखमारी अपने पति नारायण सिंह को खेत पर भी अकेले नहीं जाने देती थीं। हमेशा उनके साथ ही रहती थीं। उनकी मौत से परिवार ही नहीं गांव में ही कोहराम है। पुलिस ने भले ही इसे कत्ल के केस की तरह दर्ज किया है लेकिन समाज के दिलों में यह अमर प्रेम कथा की तरह दर्ज होने वाली प्रेम कहानी बन गई।
पड़ोसी ने फोन कर बेटे बृजेंद्र सिंह को घटना की जानकारी दी थी। घटना के बाद से गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है।