बालिका छात्रावास की छात्राएं बोलीं, शिकायत के बाद भी नहीं सुनतीं वार्डन

संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने गर्ल्स हॉस्टल के मेस की फीस पांच फीसदी बढ़ा दी है। वहीं छात्राओं ने खाने की क्वालिटी पर सवाल उठाए हैं। छात्राओं का कहना है कि जब वार्डन से शिकायत करते हैं तो उनकी बात तक नहीं सुनी जाती। उनके परिवार वाले भी यहां आकर शिकायत दर्ज करा चुके हैं।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के बालिका छात्रावास में रहने वालीं लड़कियां अक्सर खाना बाहर से मंगवाती हैं। पिछले सत्र तक छात्रावास में मेस का शुल्क 2100 रुपये था। जोकि इस सत्र में पांच प्रतिशत बढ़ाकर 2416 कर दिया गया है। बावजूद महीने में दस दिन से ज्यादा दूध रोटी, घी-नमक से रोटी या फिर मैगी खाकर गुजारा करते हैं। मेस की फीस देने के बाद भी हर महीने लगभग दो से ढाई हजार रुपये बाहर से खाना मंगाने में खर्च हो जाते हैं।

छात्राओं का कहना है कि छात्रावास में मेस का खाना इतना बेस्वाद और बेकार होता है कि खाया ही नहीं जाता। छात्राओं ने बताया कि नाश्ते में उनको दिन के अनुसार इडली सांभर, उत्तपम, कचौरी, समोसा, सैंडविच, आलू पराठा, मैक्रोनी आदि दिया जाता है। लेकिन कचौरी, समोसा, आलू पराठे में तेल ही तेल नजर आता है। रोटी में परथन इतना ज्यादा होता है कि यदि 10 मिनट रोटी रख दो तो सूख जाती है। दोपहर में सब्जी में रोज आलू की सब्जी ही मिलती है, जो कि बेस्वाद होती है। रविवार के स्पेशल खाने में सिर्फ कम मसाले वाली पनीर की सब्जी परोस दी जाती है। चावल आधे कच्चे से होते हैं, कि खाने के बाद पेट दर्द होने लगता है।

छात्राओं ने बताया कि कई बार वॉर्डन से इसकी शिकायत की गई है। यहां तक कि एक बार मेस के ठेकेदार को बुलाकर शिकायत की थी। लेकिन खाने की गुणवत्ता नहीं सुधरी है। कई बार तो लड़कियां अपने मां-बाप से वार्डन को फाेन कर शिकायत करवाती हैं। छात्रावास की लड़कियों ने बताया कि वार्डन या बीयू प्रशासन एक-दो बार में तो शिकायत पर कभी ध्यान ही नहीं देता है। इतना शुल्क यदि भोजन के नाम पर लिया जा रहा है तो कम से कम एक वक्त का खाना तो स्वादिष्ट मिले। कई बार तो खाने में कीड़े तक निकले हैं। वार्डन भी अक्सर मिलती नहीं कि उनसे शिकायत कर पाएं। छात्राएं ऐसी शिकायत सीधे बीयू प्रशासन को लिखित रूप में दें। इस पर कार्रवाई की जाएगी। – विनय कुमार सिंह, कुलसचिव



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