
सुमित्रा महाजन
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नए संसद भवन का भले ही विपक्षी दल विरोध कर हे हो, लेकिन पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का मानना है कि परिसीमन के बाद सदस्य बढ़े है, लेकिन पुराने संसद भवन में जगह ही नहीं थी। जब हाऊस में शत प्रतिशत संख्या होती थी, तब तो सदस्य फंस कर बैठते थे। नया संसद भवन जरुरी था। इस बदलाव का राजनीति से उपर उठकर सभी दलों को स्वागत करना चाहिए। महाजन जब लोकसभा स्पीकर थी तभी नए संसद भवन का प्रस्ताव आगे बढ़ा था, बैठक में सहमति बनी और उनके कार्यकाल में ही नए भवन के लिए जमीन फायनल हुई थी।
महाजन ने कहा कि पुराना संसद भवन 100 साल पुराना है। उनकी बनावट अच्छी है। हेरिटेज बिल्डिंग है,लेकिन नए भवन की मांग लंबे समय से उठ रही थी। उन्होंने कहा कि पुराने भवन मेें कई दिक्कतेें भी थी। भवन में सांसद के लिए स्थान आरक्षित है। हाऊस में कई सदस्यों की सीटें खंबों केे पीछे थी। उन सांसदो को मजाक में खंबा पीडि़त कहा जाता था। संसद मेें नियम है कि कोई भी सांसद अपनी सीट पर खड़े रहकर ही बोल सकता है। जिन सदस्यों को सीट खंबों के पीछे थी, वेे मुझे नजर ही नहीं आते थे। उन्हें तय स्थान के बजाए दूसरे स्थान पर खड़े रहकर बोलने की स्पीकर को अनुमति देना पड़ती है।
गैस लाइन की अनुमति लेने में आई थी परेशानी
महाजन ने बताया कि पुराने भवन के रसोईघर में पहले गैस की टंकिया छत पर रखी जाती थी। इस कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता था। बाद मेें फिर दूसरे स्थान से खाना बनकर आने लगा, तो सदस्य ठंडी रोटियों की शिकायत करते थे। तब मैने गैस लाइन बिछाने का फैैसला लिया, लेकिन अनुमति मिलने में काफी परेशानी अाई। यह कहा जाता था कि हेरिटेज बिल्डिंग में तोड़फोड़ नहीं की जा सकती है।
लैपटाॅप रखनेे की जगह नहीं
महाजन ने कहा कि हमने संसद भवन को पेपरलेस बनाने की कोशिश की,लेकिन सांसद बोलने के लिए पेपर लेकर ही ते थे। उन्हे सीट पर लैपटाॅप रखने की पर्याप्त जगह ही नहीं मिलती थी। राजनीतिक दलों को भी कक्ष देना पड़ते है। उनके लिए भी कक्षों की कमी रहती थी। नए भवन में यह सब परेशानियां नहीं आएगी।