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नियमों को ताक पर रखकर निजी अस्पातालों के संचालक को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल तथा जस्टिस पीएन सिंह की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता शैलेन्द्र बारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि संस्कारधानी व केयर अस्पताल के भवन का निर्माण के लिए नगर निगम व टीएनसीपी से अनुमति नहीं ली गई है। पार्किंग स्थल व भवन के चारों तरफ हवा आदि के लिए कोई न्यूनतम खुली जगह उपलब्ध नहीं है। अस्पताल के अंदर के दमघोटु वातावरण से संक्रमण फैलने का खतरा है। इसके अलावा फायर सेफ्टी सहित अन्य नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। दुर्घटना होने की स्थिति में वाहन निकलने के लिए कोई वैकल्पिक मार्ग भी उपलब्ध नहीं है।
याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि नगर निगम से भवन अनुज्ञापत्र एवं कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं हुआ तो अस्पताल संचालकों ने कूटरचना कर फर्जी भवन अनुज्ञापत्र एवं कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र बनाकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत किए और धोखे से अस्पताल का पंजीकरण प्राप्त किया है। याचिका में मांग की गई है कि सीएचएमओ द्वारा 55 निजी अस्पताल के पंजीकरण की जांच जारी है। जांच में अस्पताल द्वारा प्रस्तुत किया गया भवन अनुज्ञा और कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र फर्जी निकलता है, तो उनका पंजीकरण सदैव के लिए निरस्त किया जाए। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद प्रमुख सचिव व संचालक, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास, आयुक्त नगर निगम, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर, संस्कारधानी अस्पताल और केयर अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अवधेश कुमार सिंह ने पैरवी की।