
तोता
– फोटो : न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर
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इंदौर में तस्करी के एक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। तस्करों ने बताया है कि बीते साल जनवरी 2022 में अहमदाबाद में बीस हजार तोते भेजे गए थे। इसके लिए आरोपितों ने इंदौर और आसपास के क्षेत्रों से भी कुछ तोतों का इंतजाम किया था। बाद में वहां की पुलिस और वन विभाग की टीम ने तोते जप्त किए थे। यहां पर पकड़ाए तस्करों ने इसमें एक बड़े गिरोह की भूमिका बताई है। फिलहाल तस्करों की जानकारी के आधार पर एसटीएसएफ अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गया है। जंगल से तोते पकड़कर बेचने वाले तीनों तस्करों को रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) को इन तस्करों से पूछताछ में कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।
बीस साल से कर रहे तस्करी
ये तस्कर पिछले बीस साल से इस काम से जुड़े हैं। इनके दादा-पिता भी यही काम करते थे। पूछताछ में सामने आया है कि जंगली तोते को जाल बिछाकर पकड़ते हैं, जबकि टुइया पेड में खो बनाकर रहते हैं। वहीं से तस्कर इन्हें पकड़ते हैं। इन्हें गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तसीगढ़ भेजा जाता है।
इस तरह से पकड़ाए
एसटीएसएफ ने मुखबिर की सूचना पर तोते की तस्करी को लेकर जांच शुरू हुई। ग्राहक बनकर वनकर्मियों ने तस्कर से संपर्क किया। सुरेश ने गिरोह के बाकी दो तस्कर दिनेश और सत्यनारायण से मिलवाया। तीनों आदिवासी क्षेत्र से आते हैं, जो मोगिया जाति से ताल्लुक रखते हैं।
भोपाल तस्करी का प्रमुख गढ़
एसटीएसएफ ने प्रदेश के अन्य शहरों से जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक आदिवासी समुदाय से आने वाले तस्करों का परिवार भी इसमें लिप्त है। सात दिन में 100-200 तोते पकड़कर एक व्यक्ति गिरोह के अन्य सदस्यों को देता है। तीन से चार स्तर पर तस्कर रहते है, जो इन्हें बेचने का काम करते हैं। साथ ही अन्य राज्यों में तस्करी करते हैं। इन्होंने भोपाल के जहांगीर बाग के आसपास बाजारों में इनकी आसानी से खरीद-फरोख्त होती है।