संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। शहजाद बांध को खाली करके न्यूनतम स्तर तक पानी पहुंचा देने से बांध पर संचालित दो पाइप पेयजल परियोजनाओं पर आश्रित करीब 60-65 गांवों में पेयजल संकट गहराने की आशंका है। स्प्रिंकलर पाइप योजना के तहत बांध में बनाए गए कॉफर डैम समाप्त करने के लिए बांध को खाली कर इसके जलस्तर को 311 मीटर तक पहुंचाया जा चुका है। अब बांध में उपयोगी जल क्षमता सिर्फ एक मीटर तक ही रह गई है। 10 जून तक बांध का जलस्तर न्यूनतम जलस्तर 310.50 के सापेक्ष 310 मीटर तक पहुंचाया जाना है। हालांकि सिंचाई विभाग और नमामि गंगे योजना से जुड़े अधिकारी बांध के खाली हो जाने से पेयजल परियोजनाओं को होने वाली पानी आपूर्ति प्रभावित न होने का दावा कर रहे हैं।
बांध का निर्माण 1992 में हुआ था। इसका जलस्तर 322.00 मीटर है और न्यूनतम जलस्तर 310.50 मीटर है। लोगों को पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए बांसी-हर्षपुर पाइप पेयजल योजना संचालित है। इससे करीब 30-35 गांवों को पानी की आपूर्ति की जाती है। वहीं, नमामि गंगे योजना के तहत हर घर जल नल योजना की बदनपुर पाइप पेयजल योजना का निर्माण चल रहा है। इससे करीब 30 गांवों में 157.57 किलोमीटर पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति किया जाना प्रस्तावित है। इससे 7,557 घरों में नल संयोजन कर 39,228 लोगों को लाभ पहुंचाया जाएगा। यह योजना अंतिम चरण में है। कुछ गांव के घरों में परीक्षण के तहत पानी की आपूर्ति भी की जाने लगी है। अब इन दोनों ही परियोजना के लिए दिए जाने वाले पानी पर संकट खड़ा हो गया है।
बांध के पानी से होती है 14,403 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई
बांध का जलस्तर 322.00 मीटर है। इसके पानी को सिंचाई के साथ पेयजल परियोजनाओं के लिए भी आरक्षित किया गया है। किसानों को सिंचाई के लिए 116.60 किमी नहरों से 14,403 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है।
अपर जिलाधिकारी लवकुश त्रिपाठी ने बताया कि शहजाद बांध से नमामि गंगे की हर घर जल नल परियोजना के तहत बदनपुर पाइप पेयजल योजना को पानी लिया जाना है। इसके लिए बांध में पानी आरक्षित रखा गया है। बांध की वर्तमान स्थिति को देखते हुए योजना पर इसका प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। आने वाले दिनों में बांध के जलस्तर को न्यूनतम स्तर से भी कम तक पहुंच जाने पर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।