
गांधी हाल
– फोटो : न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर
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शहर के ऐतिहासिक गांधी हाल को निजी हाथों में सौंपने का विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेश चौकसे, गिरधर नागर ने बताया कि स्मार्ट सिटी के नाम पर जनता के टैक्स के करोड़ों रुपए खर्च कर गांधी हाल का नवनिर्माण किया गया और अब उसे निजी हाथों में सौंपना जा रहा है। यह भ्रष्टाचार का मामला है। शहर के छोटे मैरिज गार्डन भी चार-पांच लाख रुपए किराए पर मिलते हैं जबकि यहां संबंधित कंपनी से एक माह में इतने पैसे लिए जा रहे हैं। गौरतलब है कि गांधी हाल के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इंदौर की इस विरासत का रखरखाव और प्रबंधन देखने वाली कंपनी नगर निगम को 50 लाख रुपए सालाना चुकाएगी। इसके बदले में कंपनी को गांधी हाल और इसके परिसर को किराए पर देने का अधिकार होगा। कंपनी के पास ही गांधी हाल और परिसर की सफाई व्यवस्था, पुस्तकालय के रखरखाव की जिम्मेदारी भी रहेगी। कंपनी परिसर में एक रेस्त्रां भी संचालित कर सकेगी। हालांकि अंतिम मुहर लगने के पहले ही निगम की इस योजना का राजनीतिक विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों इस फैसले के विरोध में आंदोलन की तैयारी में हैं।
महापौर बोले निजी कंपनी निगम जितना किराया ही लेगी
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ने कहा कि गांधी हाल को लोग आयोजन के लिए निगम से किराए पर लेते हैं। व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने के बाद इसमें कोई बदलाव नहीं आएगा। निजी कंपनी वर्तमान किराए में बदलाव नहीं करेगी। गांधी हाल और परिसर का रखरखाव और प्रबंधन निजी कंपनी की जिम्मेदारी हो जाएगी। कंपनी द्वारा परिसर में रेस्त्रां संचालित करने से आमजन को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। महापौर ने यह भी कहा कि इस संबंध में अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया है। अंतिम निर्णय एमआइसी की बैठक में ही होगा।
गांधी हाल का ऐतिहासिक महत्व
गांधी हाल को टाउन हाल या घंटाघर के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण वर्ष 1904 में करीब ढाई लाख रुपये की लागत से हुआ था। उस वक्त इस इमारत का नाम किंग एडवर्ड हाल था। इस इमारत का उद्घाटन नवंबर वर्ष 1905 में प्रिंस आफ वेल्स (जार्ज पंचम) के भारत आगमन पर हुआ था। वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के बाद इस इमारत का नाम गांधी हाल कर दिया गया। यह 119 साल पहले बनाया गया था।