
सांकेतिक तस्वीर।
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गोरखपुर में हर दिन प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री मेडिकल स्टोर से खुलेआम हो रही है, जिन पर विभाग अंकुश नहीं लगा पा रहा है। जबकि ये दवाएं बिना पर्चे के लोगों को नहीं मिल सकती हैं। यह खेल जिला अस्पताल, बेतियाहाता और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आसपास के मेडिकल स्टोरों पर खुलेआम चल रहा है, लेकिन इस पर विभाग की नजर नहीं पड़ रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने करीब 344 दवाओं को प्रतिबंधित कर रखा है। इन दवाओं की बिक्री तभी हो सकेगी, जब मरीज पर्चा लेकर मेडिकल स्टोर पर जाएगा।
जानकारों की माने तो यह फिक्स डोज कांबिनेशन (एफडीसी) वाली दवाएं हैं। एफडीसी में दो दवाएं मिक्स होती हैं। इसका इस्तेमाल डॉक्टर मानसिक रोग या फिर दर्द निवारक में करते हैं। जब ज्यादा दर्द होता है या फिर मानसिक स्थिति ज्यादा खराब होती है, तभी डॉक्टर लिखते हैं।
इन दवाओं की बिक्री पूरी तरह से पर्चे पर होती है, लेकिन शहर में ये बिना पर्चे के मिल रही हैं। अगर कोई इन दवाओं की रसीद मेडिकल स्टोर संचालकों से मांग लेता है तो वह उसे लौटा देते हैं। इनमें हैलोब्रीड, क्लोट्रिमाजोल, लेवोडोपा, पेडर्स, ग्लूकोनार्म, ल्यूपिडीक्लाक्स, टैक्सीन जैसी दवाएं शामिल हैं।