Hapus mangoes were also affected by climate change, production decreased by 50 percent

क्लाइमेट चेंज का असर हापुस आम पर।
– फोटो : SOCIAL MEDIA

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फलों का राजा हापुस आम भी क्लाइमेट चेंज की मार झेल रहा है। इस साल मौसम के असमान उतार-चढ़ाव ने हापुस आम के केसरिया रंग की चमक कम कर दी और मिठास पर भी थोड़ा असर पड़ा।

हापुस आम कोंकण के देवगढ़-रत्नागिरी व आसपास के क्षेत्रों में पैदा होता है। इस आम के लिए ठंडा मौसम चाहिए रहता है। इंदौर के मैंगो जत्रा में हापुस आम लेकर किसानों ने बताया कि अक्टूबर-नवंबर में तटीय क्षेत्रों में बारिश हुई। इस कारण पेड़ों पर हापुस आम के मोर नहीं बन पाए।

बारिश की वजह से वह जल्दी झड़ गए। किसान विनोद दबड़पे बताते है कि 25 साल में पहली बार मौसम में ऐसा उतार-चढ़ाव देखा गया। इस कारण इस साल पचास प्रतिशत हापुस आम का उत्पादन हो पाया है। ग्रामीणों को करोड़ों रुपयों का नुकसान मौसम में आ रहे बदलाव की वजह से झेलना पड़ा। पहले हापुस आम 900 से 1000 रुपए दर्जन बिकते थे।अब उनकी कीमत 1200 से 1500 रुपए दर्जन हो गई है।

रंग की चमक भी फीकी

रत्नागिरी से हापुस आम लेकर आए किसान प्रदीप देसाई का कहना है कि इस साल ठंड कम रही,गर्मी भी जल्दी आ गई। इसका असर हापुस आम पर भी हुआ। आम का केसरिया रंग थोड़ा फीका रहा। मिठास भी कुछ कम है। क्लाइमेट चेंज का असर कोंकण मेें पाए जाने वाले इस खास किस्म के आम पर साफ देखा जा सकता है।

अच्छी किस्म का हापुस आम 200 से 300 ग्राम का होता है। इस बार उसके आकार में भी अंतर दिख रहा है। पहले कभी इस तरह का मौसम तटीय क्षेेत्र में देखने को नहीं मिला।



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