अमर उजाला ब्यूरो

ललितपुर। भीषण गर्मी में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का संकट गहरा गया है। लोगों को पीने के पानी की एक-एक बूंद जुटाने में दम निकल रहा है। कही लो वोल्टेज की समस्या से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही तो कहीं कहीं पर मोटर खराब पड़े हैं। लोगों की शिकायत के बाद भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही वजह रही कि शुक्रवार को धौर्रा में मंडलायुक्त के सामने ग्रामीणों ने अपना दुखड़ा राेया और जल्द पिपरावांसा पेयजल योजना से पानी उपलब्ध कराने की मांग की।

जल संस्थान पेयजल संकट के लिए विद्युत विभाग को दोषी मान रहा है जबकि कई मोहल्लों में पाइप लाइन डालने के बाद भी पानी नहीं पहुंच रहा है। उसके लिए वह सिंचाई विभाग के ऊपर दोष मढ़ रहा है। लेकिन इन सब आरोप-प्रत्यारोपों के बीच धौर्रा सहित छह गांवों में करीब 20 हजार, बालाबेहट की करीब 13 हजार और शहर क्षेत्र की करीब 50 हजार आबादी पानी के लिए परेशान है।

पाइप लाइन के बाद भी पानी नहीं पहुंच रहा

शहर के लोवर जोन बड़ापुरा, रैदासपुरा, श्रद्धानंदपुरा, खिरकापुरा व चौबयाना मोहल्ले के मोहल्लों में पाइपलाइन तो वर्षों से बिछी हुई है लेकिन इनमें से पानी नहीं निकलता है। सर्दियों में तो लोगों का किसी तरह से गुजरा चल जाता है, लेकिन गर्मियों जब हैंडपंप पानी छोड़ देते हैं। तो लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। अगर जल संस्थान की मेहरबानी से टैंकर आ भी जाए तो भी लोगों को लंबा सफर कर टैंकर तक पहुंचाना होता है। यही नहीं छोटे बच्चे साइकिल व हाथ ठेलों पर पानी घर तक पहुंचाने का कार्य करते हैं।

400 करोड़ खर्च पर सूखे हैं नेहरू नगर व चांदमारीवासी के कंठ

नेहरूनगर में पेयजल संकट के चलते वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में बहिष्कार की धमकी मिलने पर तत्कालीन प्रशासन आश्वासन देकर मतदान तो करा लिया लेकिन बाद में योजना ही बनती रही। इधर, चांदमारी क्षेत्र में भी आबादी बढ़ने पर पेयजल की मांग होने लगी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी उमा भारती भी अपना वादा पूरा नहीं कर सकी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव मतदाताओं के विरोध को देख उमा भारती ने अपनी पार्टी खिलाफ सड़क पर आमरण अनशन की चेतावनी दे डाली। तब कार्ययोजना तैयार कर शासन ने मंजूरी प्रदान की, लेकिन वह सिंचाई विभाग से सैद्वांतिक स्वीकृति नहीं ले पाया।

धौर्रा के पठार में पानी के लिए तरस रहे लोग

जाखलौन। धौर्रा के पठार क्षेत्र में पानी पहुंचाने के लिए पिपराबांसा पाइप पेयजल योजना तैयार की गई। इस योजना के तहत पूरे क्षेत्र में पाइपलाइन बिछने के बाद घरों में कनेक्शन दिए गए लेकिन अब लोगों को पानी नहीं मिल रहा है। कभी विद्युत कटौती तो कहीं लो वॉल्टेज से टंकी को नहीं भर पा रही है। जबकि वहां पर तत्कालीन अफसरों ने वॉल्टेज समस्या के निदान के लिए स्टेबलाइजर भी उपलब्ध कराया था लेकिन अब छह गांवों के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए इधर उधर भटक रहे हैं।

जलस्तर गिरने से सूखे हैंडपंप

पाली। तहसील पाली के ग्राम बालाबेहट में करीब 55 हैंडपंप लगे हैं लेकिन गर्मी शुरू होते ही अधिकांश हैंडपंप पानी छोड़ गए हैं जिसके चलते अब यहां के लोगों को मात्र चार हैंडपंप और कुआं से करीब 13 हजार की आबादी को पानी लेना पड़ रहा है। जल संस्थान की पाइप लाइन से करीब दो साल से पानी नहीं मिला और दोनों मोटर भी खराब है। डीएम आलोक सिंह के निर्देश पर विभागीय अफसरों ने मौके पर जाकर जायजा लिया और नई पाइप लाइन के लिए स्टीमेट बनाकर भेजने का आश्वासन देकर चले गए।

गांव में लगे हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया जिससे ग्रामीणों के लिए पानी का संकट गहरा गया है। -गौरव मिश्रा, बालाबेहट

हर साल गर्मी में पानी का संकट गहरा जाता है लेकिन अधिकारी गंभीरता से इसका निस्तारण नहीं कराते। -लाखन सिंह

गांव में जलस्तर गिर जाने से हैंडपंप पानी छोड़ गए हैं जिससे कुआं से ही पानी भरने का रास्ता शेष रह जाता। अनरथ पाल,बालाबेहट

गांव का जलस्तर लगातार गिर रहा है जिससे हैंडपंप पानी छोड़ गए। कुआ से पानी लेकर अथवा निजी बोरिंग के माध्यम से ग्रामीणों को पानी उपलब्ध करा रहा हूं। – दौलत राम साहू, ग्राम प्रधान बालाबेहट

वर्जन पिपराबांसा पेयजल योजना के संचालन में वोल्टेज की समस्या बनी हुई है जिसके कारण मोटर नहीं चल पा रहे हैं। स्टेपलाइजर उनके संज्ञान में नहीं है इसकी जानकारी ली जाएगी। -संजीव कुमार, अधिशासी अभियंता जल संस्थान



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