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a lot of discussion about the closure of 2000 notes but no restlessness

दो हजार रुपये का प्रतीकात्मक नोट
– फोटो : social media

विस्तार

केंद्र सरकार द्वारा 2000 के नोट वापस करने के निर्णय को लेकर लोगों में चर्चा तो खूब है, लेकिन इस बार वर्ष 2016 में हुई नोटबंदी की तरह बेचैनी देखने को नहीं मिली। कुछ बैंकों में बैंक उपभोक्ता पहुंचे तो उन्हें नोट बदलने एवं रुपये जमा करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। 2000 के नोट को चलन से बाहर करने के निर्णय को लेकर शनिवार को अमर उजाला ने शहरवासियों से बातचीत की तो उन्होंने इसको लेकर अलग अलग प्रतिक्रियाएं व्यक्त की। 

अधिकांश का मानना था कि आम लोगों के पास 2000 के नोट बहुत अधिक संख्या में नहीं मिलेंगे, क्योंकि काफी पहले ही इसका चलन कम हो गया है। उच्च वर्ग से जुड़े लोगों, व्यापारियों एवं कारोबारियों के पास 2000 के नोट हो सकते हैं। चार महीने में उनको बदलने का समय पर्याप्त है। अगर किसी के पास नोट हैं भी तो वो इससे लेन-देन कर सकता है। 23 मई से बैंक में इसके लिए काउंटर भी लगेंगे। 

बैंकों में कामकाज सामान्य रहा

2000 के नोट वापस लेने की सरकार की घोषणा चर्चा में है। पिछली बार नोटबंदी के बाद बैंक शाखाओं के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगने के साथ ही मारामारी के हालात थे। इस बार ऐसे हालात बनने के आसार नहीं है। अधिकांश बैंकों में शनिवार को आधे दिन ही काम होने के बावजूद वहां कामकाज सामान्य रहा। कुछ ही ग्राहक 2000 के नोट बैंक खाते में जमा कराने पहुंचे। घंटाघर स्थित एसबीआई की मुख्य शाखा में भी आम दिनों की कामकाज होता नजर आया। सेंटर प्वाइंट पर पंजाब नेशनल बैंक, गांधीपार्क पर आईसीआईसीआई, नौरंगाबाद पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, रामघाट रोड पर एचडीएफसी बैंक शाखा में आम दिनों की तरह ग्राहकों की भीड़ थी। यही हाल शहर के एटीएम का था। 



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