
ब्लैक मून
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शुक्रवार को आसमान में दुर्लभ खगोलीय नजारा दिखाई देगा। वट सावित्री अमावस्या पर चांद काला दिखाई देगा। इसे खगोलीय वैज्ञानिक ब्लैक मून भी कहते हैं। लगभग 29 महीने में एक बार यह खगोलीय नजारा देखने को मिलेगा। दुर्लभ है क्योंकि 2021 में तो यह दिखाई तक नहीं दिया था।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि 19 मई को अमावस्या का चांद ब्लैक मून होगा। अमावस्या को न दिखने वाले चांद का यह नामकरण खास है। 21 मार्च से 21 जून को समाप्त हो रहे तीन महीने की खगोलीय वसंत ऋतु में चार अमावस्या पड़ रही हैं। शुक्रवार को तीसरी अमावस्या है। तीन महीने के किसी सीजन में चार अमावस्या आती है तो तीसरी अमावस्या को ब्लैक मून कहा जाता है। पिछले कुछ समय से ही यह शब्द प्रचलन में आया है। घटना भी लगभग 33 महीने मे होती है। सारिका के अनुसार यह इस कैंलेंडर साल की पांचवीं अमावस्या है। आम तौर पर एक महीने में एक पूर्णिमा और एक अमावस्या आती है। ब्लैक मून की परिभाषा के अनुसार जब एक महीने में दो अमावस्या पड़ती है तो दूसरी अमावस्या को ब्लैक मून कहते हैं। ऐसा लगभग हर 29 महीने में एक बार होता है। एक अन्य परिभाषा के अनुसार अगर फरवरी में अमावस्या न हो तो जनवरी एवं मार्च में दो अमावस्या होती है। इसे भी ब्लैक मून कहा जाता है। यह संयोग 2023 में देखने को मिलेगा।
अमावस्या को चमकीला भाग नहीं दिखता
चांद आसमान में हमेशा रहता है। अगर आपको लगता है कि अमावस्या पर चांद नहीं होता, तो यह गलत है। चांद होता है तो लेकिन उसकी चमकीली सतह या उस पर पड़ने वाला प्रकाश पृथ्वी की ओर नहीं होता, इस वजह से उसकी परछाई ही धरती से नजर आती है। साल में दो से पांच बार सूर्यग्रहण होने पर हम चांद को पूर्ण या आंशिक रूप से सूर्य को ढंकते भी देखते हैं।
आगामी ब्लैक मून
- 31 दिसंबर 2024: एक माह में दो अमावस्या
- 23 अगस्त 2025: एक सीजन की चार अमावस्या में से तीसरी अमावस्या