अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। निकाय चुनाव निपटने के बाद अब भाजपा का फोकस संगठन के बदलाव पर हो गया है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अच्छा काम करने वालों को फिर से जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है। वहीं, कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र और जिले की टीम में जातिगत समीकरण के आधार पर नए चेहरे भी शामिल किए जा सकते हैं।

निकाय चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इस चुनाव में बुंदेलखंड में मिली सफलता से भाजपाई गदगद हैं। अब 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसमें एक साल से भी कम समय बचा हुआ है। ऐसे में भाजपा बिना देरी किए इस महीने के अंत तक या फिर जून के शुरुआती सप्ताह में संगठन में बदलाव कर सकती है। चूंकि, भाजपा में लगातार दो बार से अधिक किसी को अध्यक्ष पद का दायित्व नहीं दिया जा सकता है। ऐसे में बुंदेलखंड के जिलों में लगातार दो बार से अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते रहे पदाधिकारियों को हटाया जाएगा। वहीं, जिन जिलाध्यक्षों, महानगर अध्यक्षों की कार्यप्रणाली ठीक नहीं रही है, उनसे भी दायित्व छीना जा सकता है। आम चुनाव के मद्देनजर पार्टी जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर नए चेहरों को जिम्मेदारी दे सकती है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की टीम में भी जातिगत समीकरणों के आधार पर बदलाव संभव है।

क्षेत्र की टीम में होते हैं 28 पदाधिकारी

कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की टीम में 28 पदाधिकारी होते हैं। इसमें आठ उपाध्यक्ष, तीन महामंत्री, आठ मंत्री, एक-एक कोषाध्यक्ष व सह कोषाध्यक्ष होता है। इसके अलावा एक-एक मीडिया प्रभारी, सोशल मीडिया प्रभारी व पांच सदस्य बनाए जाते हैं।

वर्जन..

संवैधानिक व्यवस्था अनुसार पार्टी में लगातार दो बार तक ही कोई अध्यक्ष रह सकता है। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सामाजिक समीकरण को देखते हुए पार्टी के शीर्ष पदाधिकारी क्षेत्र से लेकर जिले की टीम में बदलाव संबंधी निर्णय लेंगे। – सुधीर सिंह, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र, भाजपा।



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