
कथक की प्रस्तुति देते प्रतिभागी
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कालिदास संस्कृत अकादमी म.प्र.संस्कृति परिषद् द्वारा पारम्परिक शास्त्रीय नृत्य कथक के संस्कारों के पोषण के उद्देश्य से 15 दिवसीय शास्त्रीय नृत्य कथक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन हुआ। 15 दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर अतिथि वरिष्ठ नृत्याचार्य पं.श्रीधर व्यास ने बताया कि भारतीय संस्कृति के केन्द्र में कलाएं हैं और नृत्य भगवान शिव की आराधना है। इस कार्यशाला से हमारे नगर की प्रतिभाओं को अपने व्यक्तित्व को विकसित करने का अवसर उपलब्ध हुआ है। कार्यशाला के प्रशिक्षक संजीत गंगानी ने कहा कि कथक के संस्कार मुझे पारम्परिक विरासत में प्राप्त हुए हैं। उज्जयिनी की प्रतिभाओं को मैं नमन करता हूँ। प्रतिभागियों ने पूर्ण उत्साह से कथक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इस अल्प अवधि में उन्होंने कठिन परिश्रम कर कथक की बारीकियों को सीखा।
200 प्रतिभागियों ने किया प्रदर्शन
कार्यक्रम के दौरान लगभग 200 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा प्रथम प्रस्तुति के रूप में गणेश वंदना एवं गणेश परण राग यमन में निबद्ध में की गई। द्वितीय प्रस्तुति सरस्वती वंदना तीन ताल विलम्बित लय राग-जोग में निबद्ध में, तृतीय प्रस्तुति गुरु वंदना तीन ताल मध्य लय, राग-वागेश्री में निबद्ध में, चतुर्थ प्रस्तुति वरिष्ठ नृत्याचार्य कार्यशाला प्रशिक्षण संजीत गंगानी द्वारा एकल नृत्य एवं अंतिम प्रस्तुति विष्णु वंदना, ताल वसंत नौ मात्रा, राग शिव रंजनी में रंगारंग प्रस्तुति दी गई।