
सीहोर के कुबेरेश्वरधाम में गौशाला के लिए भूमिपूजन किया गया।
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सीहोर जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर परिसर के पीछे करीब सवा दो एकड़ से अधिक जमीन पर क्षेत्र की सबसे बड़ी गोशाला का निर्माण किया जाएगा। इसमें एक साथ 5000 हजार से अधिक गायों के चारा, पानी, पशु चिकित्सक सहित सेवादारों की व्यवस्था रहेगी। निर्माण कार्य का भूमिपूजन भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि कुबेरेश्वर महादेव मंदिर परिसर में सवा दो एकड़ से अधिक जमीन पर भव्य गोशाला का निर्माण किया जाएगा। इसमें गुरुदेव पंडित मिश्रा के आदेश अनुसार करीब पांच हजार से अधिक गायों के रहने के अलावा सभी सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। वहीं प्रत्येक गाय का डाटा रखा जाएगा, जिसमें गाय की नस्ल, उम्र, वजन, टीकाकरण, पूर्व में किया गया मेडिकल ट्रीटमेंट आदि की सभी जानकारी हासिल होगी। इसके लिए तैयारियां चल रही हैं। रविवार को भूमिपूजन के साथ ही तेजी से निर्माण कार्य का श्रीगणेश भी हो गया है। गत दिनों यहां पर भव्य रूप से 251 कमरें की धर्मशाला का भूमिपूजन किया गया था, इसका निर्माण कार्य भी जारी है। धर्मशाला में बड़े-बड़े हाल का निर्माण भी किया जाएगा। सबसे पहली जरूरत तो प्रतिदिन यहां आने वाले हजारों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने की है। धर्मशाला में कमरों, सामूहिक भोजन के लिए हॉल आदि का निर्माण होगा। इसके अलावा कमरे में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था होगी।
रविवार सुबह मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पंडित मिश्रा ने कहा कि सनातन धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है, जैसे एक माता अपने पुत्र का पालन-पोषण करती है ठीक उसी प्रकार गौमाता सम्पूर्ण विश्व का भरण-पोषण करती है। गाय हमारी आस्था की भी प्रतीक है। गाय में समस्त देवता निवास करते हैं व प्रकृति का दुलार उनकी सेवा करने से ही मिलता है। भगवान शिव का वाहन नंदी, भगवान इंद्र के पास समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली कामधेनू गाय, भगवान श्री कृष्ण का गौपालक होना एवं अन्य देवियों के मातृवत गुणों को गाय में देखना भी गाय को पूज्य बनाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार गौमाता के पृष्ठदेश यानि पीठ में स्वयं ब्रह्माजी निवास करते हैं तो गले में श्रीहरी विराजते हैं। भगवान शिव मुख में विराजते हैं तो मध्य भाग में सभी देवताओं का निवास है।