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फोटो संख्या-10- पुलिस मुठभेड़ के बाद जायजा लेने पहुंचे एसपी और एएसपी। संवाद

फोटो संख्या-11- मुठभेड़ स्थल पर पुलिस टीम के साथ एसपी। संवाद

फोटो संख्या-12- फैक्टरी एरिया में मुठभेड़ स्थल पर एसओजी टीम के साथ एएसपी और सीओ सिटी। संवाद

फोटो संख्या-13- मुठभेड़ के बाद मौके पर पड़ी बाइक। संवाद

फोटो संख्या-14- मुठभेड़ स्थल पर पड़ी पिस्टल। संवाद

फोटो संख्या-15- मृतक कल्लू उर्फ उमेश का फाइल फोटो। संवाद

फोटो संख्या-16- मृतक रमेश की फाइल फोटो। संवाद

फोटो संख्या-17- मुठभेड़ में मारे गए कल्लू का राहिया गांव स्थित मकान। संवाद

फोटो संख्या-18- मृतक कल्लू के पिता सुरेश जानकारी देते हुए। संवाद

संवाद न्यूज एजेंसी

उरई। पुलिस मुठभेड़ में मारे गए सिपाही भेदजीत सिंह के हत्यारोपी दोनों बदमाश भागने की फिराक में थे। एसपी ने बताया कि मारे गए बदमाशों के गांव फैक्टरी एरिया के पास हैं। पुलिस दोनों की सरगर्मी से तलाश कर रही थी। पुलिस से बचने के लिए बदमाश भागने की फिराक में थे, लेकिन खुफिया विभाग की सटीक सूचना पर पुलिस की टीमों ने दोनों को मार गिराया।

मारे गए बदमाश कबाड़ चोरी में लिप्त बताए जा रहे हैं। हालांकि पुलिस इनका आपराधिक इतिहास नहीं बता रही है लेकिन, उस क्षेत्र के लोग यह स्वीकार कर रहे हैं कि दोनों बदमाश कुछ बड़े कबाड़ियों की मिलीभगत से फैक्टरी एरिया से कबाड़ चोरी करते थे। इनमें से एक हत्यारोपी का नेटवर्क तो कानपुर फैला था।

उरई औद्योगित क्षेत्र में कई फैक्टरियां बंद पड़ी हैं। इस इलाके में कबाड़ की चोरी करने वाले लगातार सक्रिय रहते हैं। कबाड़ चोर न केवल शातिर हैं बल्कि दुस्साहसी भी हैं। फैक्टरी एरिया से कबाड़ चोरी की घटनाएं रोकना पुलिस के लिए हमेशा से चुनौती बना है। पुलिस मुठभेड़ में मारे गए बदमाश राहिया निवासी कल्लू उर्फ उमेश पुत्र सुरेश वैसे दिखाने के लिए दोना-पत्तल का काम करता था। उसने घर में मशीन भी लगाई हुई है लेकिन, असल में वह कबाड़ चोरी की घटनाओं को अंजाम देता था।

उसका उरई के कबाड़ियों से तो संपर्क था ही साथ में कानपुर के कबाड़ियों तक उसका नेटवर्क फैला था। मुठभेड़ में मारा गया दूसरा हत्यारोपी सरसौकी निवासी रमेश भी कल्लू के साथ में कबाड़ चोरी की घटनाओं में लिप्त बताया जा रहा है। हालांकि इन दोनों का उरई के थानों में कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है और न ही उरई के पुलिस अधिकारी कुछ भी बोल रहे हैं।

मौके से मिले थे अहम सुराग, उठाए गए थे कबाड़ी

हाईवे चौकी पर तैनात सिपाही की हत्या के बाद सक्रिय हुई पुलिस को घटनास्थल से कई अहम सुराग मिले थे। इसमें पुलिस को एक चप्पल, गमछा और एक बोरी मिली थी। इन सुरागों के माध्यम से पुलिस ने शहर के कम से कम 50 कबाड़ियों को उठाकर उनसे पूछताछ की थी। इसके अलावा पुलिस ने अपना मुखबिर तंत्र से पूरी जानकारी ली थी। पुलिस ने हत्यारोपियों के घरों पर दबिश भी दी थी लेकिन, दोनों घरों से गायब मिले थे। इसके चलते पुलिस का शक पुख्ता हो गया था।

सिपाही भेदजीत ने बदमाशों से लिया था मोर्चा

दोनों आरोपी उस रात किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। इस दौरान रात में सिपाही भेदजीत ने उन्हें टोक दिया। आरोपियों को यह टोकाटाकी नागवार गुजरी और सिपाही पर फायर झोंक दिया। गोली भेदजीत को नहीं लगी तो उसने इन आरोपियों को दौड़ा लिया और उनसे भिड़ गया। हत्यारोपियों ने सिपाही की गिरफ्त से बचने के लिए किसी नुकीली और भारी चीज से उनके सिर पर हमला कर दिया। जिससे अधिक खून बहने से उनकी मौत हो गई थी।

आरोपियों के गांव में सन्नाटा, शव लेने तक नहीं पहुंचे परिजन

कल्लू का पिता बोला वह जा रहा अपने काम पर उसे कुछ नहीं पता

दूसरे आरोपी के घर में पड़ा ताला, परिजन घटना के दिन से ही फरार

संवाद न्यूज एजेंसी

उरई। सिपाही की हत्या के बाद से ही आरोपियों के घरों और मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है। इनके मोहल्ले में हर आने-जाने वाले को लोग शक की नजरों से देख रहे हैं और किसी भी तरह की जानकारी लेने पर बिना बताए ही वहां से निकल जा रहे हैं। राहिया निवासी आरोपी कल्लू के घर में सिर्फ उसके पिता सुरेश हैं। बताया जा रहा है कि वह भी रोडवेज वर्कशॉप में झाड़ू लगाने का काम करते हैं।

पुलिस मुठभेड़ में कल्लू के मारे जाने के बाद जब गांव में जानकारी ली गई तो लोगों ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। कल्लू के पिता सुरेश ने बताया कि वह तो काम पर जा रहा है। उसका बेटा कल्लू उर्फ उमेश कई दिन से घर नहीं आया है। जब उसे किसी ने बताया कि पुलिस मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई है, अस्पताल में उसका शव रखा है, उस पर उसने कहा कि उसे नहीं पता, वह तो अपने काम पर जा रहा है। कल्लू की अभी शादी नहीं हुई थी।

दूसरा आरोपी रमेश सरसौकी का रहने वाला है। उसके घर में सिपाही की हत्या वाले दिन से ही ताला पड़ा हुआ है। उसकी पत्नी घर में ताला डालकर कहीं चली गई है। रमेश के दो लड़के और एक लड़की भी है। उसके पिता हैं नहीं और मां गांव में ही अलग घर में रहती है। उसके बारे में गांव में कोई कुछ भी बताने से बच रहा है। हालांकि कुछ लोगों ने दबी जुबान में स्वीकार किया कि वह कबाड़ चोरी की घटनाओं में लिप्त रहा है।

सिपाही का मोबाइल ले गए थे

हत्या करने के बाद हत्योरोपी सिपाही का मोबाइल क्यों लेकर गए थे, ये अभी सवाल बना हुआ है। सिपाही से झड़प के बाद आरोपियों ने हत्या कर दी थी, उसके बाद उनका कुछ सामान छूट गया था लेकिन, हत्यारोपी सिपाही का मोबाइल ले गए थे। मुठभेड़ के बाद सिपाही का मोबाइल फोन भी मिला है लेकिन वह क्षतिग्रस्त हालत में है। पुलिस ने सिपाही के मोबाइल लूट का जिक्र अपनी एफआईआर में भी नहीं किया था। माना जा रहा है कि सिपाही के मोबाइल में कुछ तो संदिग्ध था जिसको आरोपी ले गए थे।

पुलिस ने माना था इकबाल को चुनौती, झोंक दी थी पूरी ताकत

एडीजी, डीआईजी पहुंचे थे, एसटीएफ ने डाला हुआ था उरई में डेरा

संवाद न्यूज एजेंसी

उरई। सिपाही भेदजीत सिंह की हत्या के बाद से पूरा पुलिस महकमा सख्ते में था। जैसे ही सिपाही की हत्या की सूचना मिली तो एसपी, एएसपी और सीओ ने तत्काल मौके पर पहुंचकर पूरे मामले का जायजा लिया था। पुलिस ने सिपाही की हत्या को अपने इकबाल को चुनौती मानते हुए आरोपियों की धरपकड़ के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी।

सिपाही की हत्या की खबर लगते ही डीआईजी जोगेंद्र सिंह तुरंत झांसी से उरई पहुंचे। उसके बाद कानपुर से एडीजी जोन आलोक सिंह भी मौके पर पहुंचे थे। दोनों अधिकारियों ने सिपाही के पार्थिव शरीर को कंधा भी दिया था। इसके बाद भेदजीत सिंह के परिजनों को एडीजी आलोक सिंह ने न्याय का दिलासा दिया था। भेदजीत सिंह के परिजनों को उरई से रवाना करने के बाद एडीजी और डीआईजी ने उरई के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करके जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए थे। आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस ने खोजी कुत्तों, फोरेंसिक टीम को भी सक्रिय करते हुए घटनास्थल से साक्ष्य उठाए थे। इसके बाद वहां से मिले साक्ष्य के आधार पर कई लोगों को उठाया था। पुलिस ने अपने मुखबिरों की सूचना पर फरार लोगों की भी सूची बनाई थी। घटना के बाद से ही उस इलाके के कई लोग मौके से फरार हो गए थे। आरोपियों की धरपकड़ के लिए एसटीएफ की टीम ने डेरा डाला हुआ था।

एएसपी असीम चौधरी ने बताया कि जिस वीभत्स तरीके से सिपाही की हत्या की गई थी, उससे महकमे में काफी रोष था और अधिकारियों ने उसी दिन ठान लिया था कि चैन से नहीं बैठेंगे। इन तीन दिन में पुलिस की छह टीमों ने कई प्रदेशों में दबिश दी। लगभग ढाई हजार किमी की यात्रा की। इसी दौरान जब ये पता चल गया कि किन लोगों ने हत्या की है तो पुलिस ने उनकी रिश्तेदारियों में दबिश देना शुरू किया। इससे आरोपियों को भी पता चल गया कि वे जल्द ही पकड़े जाएंगे। इस पर आरोपी जो बिल में छिपे बैठे थे उन्होंने भागने का प्रयास किया और वे पुलिस मुठभेड़ में मारे गए।

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