वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन
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भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण इन दिनों चर्चा मेें है। उन्होंने कुछ दिनों पहले बयान दिया था कि आंध्र और कर्नाटक में, भाजपा घुस गई फाटक में..। उनके तेवर के बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें भोपाल बुलाया था। मुख्यमंत्री के सामने उन्होंने संगठन की कमजोरियों के बारे में खुलकर बताया। इसके बाद उनकी पूछपरख संगठन में बढ़ गई। इंदौर विकास प्राधिकरण के बजट के दौरान सत्तन को भी बुलाया गया और पूरा मान-सम्मान दिया। इस बारे में सत्तन नेे कहा कि उन्हें अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने आने को कहा था और घर पर कार भेजी थी। इसके बाद मैं बजट की बैठक में गया। पेश से कवि सत्तन ने संगठन को लेकर अन्य बातें भी कही। पूर्व विधायक रहे सत्तन के बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है कि वे 2008 के बाद से जावरा कपाउंड के भाजपा कार्यालय की सीढ़ी नहीं चढ़े है। आखिर क्या है इसके पीछे की वजह यह खुद सत्यनारायण सत्तन ने बताई।
मैं कमरे में बैठने के बजाए मैदान मेें वार्ता करता हुं
सुमित्रा महाजन वर्ष2008 में इंदौर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा उम्मीदवार थी। पार्टी ने मुझे लोकसभा चुनाव का संचालक बनाया था। उस चुनाव में मेरी ही पार्टी मेेरी पार्टी को हरा रही थी। कुछ लोग महाजन को हराने के लिए बैैठे थे। बोलने के बावजूद वे नहीं माने। मैने कहा कि मैं चुनाव में सेनापति हुं।अपनी सेना को हराने नहीं दूंगा। मैने पूरी मेहनत थी,लेकिन साढ़े दस हजार वोटों से ही जीता पाया,क्योकि विरोध में पार्टी ही थी। उसके बाद से आज तक मैं भाजपा कार्यालय नहीं गया। क्योकि मैै मानता हुं कि उस पार्टी में कार्यकर्ता का भविष्य क्या है, जब पार्टी ही पार्टी को हराने में लगेगी। इसलिए मैने संगठन पदाधिकारियों को अवगत करा दिया था कि हमारी पार्टी में जो कांग्रेसीपन आया है, ये पार्टी को डूबाएगा। मैं इसमें नहीं डूबना चाहता हु। तब से ही मैं पार्टी कार्यालय नहीं गया। कार्यकर्ता की बेहतरी के लिए तो मैं अभी भी काम कर रहा हुं। पार्टी कार्यालय मेें बैठक होती है, विचार होता है। अंजाम तो मैदान में ही दिया जाता है और मैं तो मैदान में ही हुं। कमरे में बैठ कर मैं वार्ता नहीं करता, मैदान में कर लेता हुं। (जैैसा भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन ने अमर उजाला को बताया)
जनता से घुलते मिलते है शिवराज
सत्तन ने कहा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि चौहान जनता के बीच घुले-मिले है। जनता भी उन्हें पसंद करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जनता पसंद करती है, लेकिन वे जनता से ज्यादा घुल-मिल नहीं पाते है।