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Two hundred crores spent in three years on purifying Indore's climate

इंदौर की हवा शुद्ध करने पर हुए 200 करोड़ खर्च।
– फोटो : amar ujala digital

विस्तार

स्वच्छता में छह बार से लगातार पहले स्थान पर आने वाले इंदौर शहर ने शहर की आबो हवा को शुद्ध करने के लिए तीन साल में करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किए है। इतनी राशि खर्च कर शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को 100 अंक से नीचे रह सका। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत मिली राशि को शत प्रतिशत उपयोग कर चुके इंदौर को इस बार भी राशि मिलेगी।

पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर के अलावा उज्जैन, देवास और सागर शहर को 599 रुपये करोड़ राशि दी थी। सातों शहर 82% राशि यानी 492 करोड़ रुपये का उपयोग वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कर पाए। सबसे अधिक राशि 192 करोड़ रुपये इंदौर को मिले थे और शहर ने 100 प्रतिशत फंड का उपयोग किया है। इसके बाद भोपाल ने 85 प्रतिशत (184 करोड़ रुपये में से 156 करोड़ रुपये) की राशि का उपयोग किया गया।

मंत्रालय ने यह शर्त भी रखी है कि इन इस साल उन शहरों को ही अनुदान मिलेगा। जिन्होंने अब तक प्राप्त अनुदान का 75 प्रतिशत राशि का उपयोग शहर के वातावरण को शुद्ध करने के लिए किया हो। निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने बताया कि इस साल भी शहर के प्रदूषण को कम करने के लिए हमारे प्रयास जारी रहेेंगे। हम डोर टू डोर कलेक्शन वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में तब्दील कर रहे है। ई चार्जिंग स्टेशन भी बढ़ाएं जाएंगे।

इस तरह हुए आबोहवा सुधारने की कवायद

– शहर मेें रोज मशीनों से सड़कों की सफाई होती है। मशीने धुल भी सड़कों से साफ करती है।

– नगर निगम ने ई व्हीकल को बढ़ावा देना शुरू किया है। 20 से ज्यादा ई चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैै। इसके अलावा सायकल सुविधा भी शहर मेें है। सिटी बसें सीएनजी और बेटरी से चलाई गई है।

– वायु की शुद्धता के लिए शहर के मार्गों पर 100 से ज्यादा मशीनें लगाई गई है।

– दो माॅनिटरिंग स्टेशन भी बनाए गए है, जो शहर के प्रदूषण पर नजर रखते है। शहर के अलग-अलग चौराहों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए है।

– शहर के रेस्त्रां में तंदूर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। चौराहों पर भी वाहनों के इंजन बंद कराने के लिए अभियान चलाया जाता है।

 

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