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दमोह रेलवे स्टेशन
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मध्यप्रदेश का दमोह रेलवे स्टेशन पूरे भारत में पहला जिला मुख्यालय का रेलवे स्टेशन है जहां यात्रियों को चाय, पानी और खाने जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि इस स्टेशन से यात्रा करने वाले यात्री कह रहे हैं। दरअसल, इस स्टेशन पर वर्तमान में कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन तीनों सामग्री के स्थान पर यहां यात्रियों को खेलने के खिलौने जरूर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह सुनने में जरूर कुछ मजाकिया लग रहा है। लेकिन यह बात सच है जो खाने-पीने वाला स्टाल यहां लगा है वहां इस समय खिलौनों की दुकान लगी है। यह समस्या पिछले एक साल से बनी हुई है जबसे यहां संचालित कैंटीन बंद हुई है।
चाय, पानी और खाने के लिए यात्री बाहर जाने को मजबूर
दमोह रेलवे स्टेशन मॉडल रेलवे स्टेशन है और यहां रेलवे प्रबंधन के नियमों के अनुसार यात्रियों को प्रत्येक सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान में पानी के लिए भी यात्रियों को भटकना पड़ रहा है। इस स्टेशन से प्रतिदिन हजारों यात्री यात्रा करते हैं, जिन्हें अपने साथ पानी लेकर चलना पड़ रहा है। जो यात्री ट्रेनों के रुकने पर प्लेटफॉर्म पर उतरते हैं वे पानी की बोतल लेने, चाय पीने और खाने की सामग्री लेने के लिए रेलवे स्टेशन के बाहर जाते हैं। यह समस्या पिछले एक साल से बनी हुई है। इस पर रेलवे प्रबंधन के किसी भी जिम्मेदार ने आज तक ध्यान नहीं दिया। स्टेशन से यात्रा कर रहे यात्री वीरेंद्र पटेल, मनीष श्रीवास्तव, अरविंद जैन और नीरज जैन ने कहा कि दमोह रेलवे स्टेशन पर चाय, पानी और खाने की कोई सुविधा नहीं है। यह शायद भारत का पहला जिला मुख्यालय का रेलवे स्टेशन होगा जहां इन तीन चीजों की कोई सुविधा नहीं है।
उन्होंने कहा कि हर साल गर्मियों में यहां हरे माधव परमार्थ सेवा समिति के सदस्यों द्वारा गर्मी के मौसम में प्याऊ संचालित किया जाता है। केवल इसी प्याउ के सहारे यात्रियों को पानी मिल पा रहा है। इसके अलावा कहीं कोई ठंडे पानी की सुविधा नहीं है। गर्मी के मौसम के बाद जब प्याउ बंद हो जाएगा, तब यात्रियों को बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान होना पड़ेगा। इसके साथ ही जिस यात्री को मिनरल वाटर पीना है उसे बोतल लेने प्लेटफॉर्म के बाहर ही जाना पड़ेगा।
खाने के स्टॉल में मिल रहे खिलौने
रेलवे स्टेशन पर संचालित कैंटीन बंद होने के बाद यहां एक स्टेशन एक उत्पाद नाम से स्टॉल खोला गया था। उनमें खाने के साथ पानी की बोतल भी मिलती थी, लेकिन जिसने इसका टेंडर लिया था वह भी महज कुछ दिन ही इसे चला पाया और स्टॉल बंद कर दिया। इसके एक खिलौने वाले ने यह स्टॉल ले लिया और खाने, पीने की सामग्री की जगह यात्रियों को खिलौने मिल रहे हैं। इस समय भीषण गर्मी हो रही है और यात्रियों को पानी के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है, क्योंकि हर यात्री प्याउ का पानी नहीं पीता। इसके अलावा चाय और खाने की सामग्री के लिए तो परेशान होना ही पड़ रहा है।
कैंटीन बंद होने के बाद बिगड़ी व्यवस्थाएं
दमोह रेलवे स्टेशन पर ठेकेदार रामभरोसे गौतम के द्वारा पिछले 40 सालों से कैंटीन का संचालन किया जा रहा था। लेकिन उन्होंने कैंटीन बंद कर दी। विक्की गौतम ने बताया कि रेलवे ने कैंटीन का किराया बढ़ा दिया और लॉकडाउन के दौरान वेंडर की 90 हजार फीस मांगी गई। साथ ही अलग से वेंडर रखने के लिए कहा गया। जिस कैंटीन का किराया करीब दो लाख रुपये साल था, वह सीधे चार लाख पर पहुंच गया। इसलिए उन्होंने कैंटीन बंद करना ही बेहतर समझा। पिछले एक साल से कैंटीन बंद है और उसके बाद किसी ने भी इतने महंगे रेट पर कैंटीन नहीं ली। तभी से यात्रियों को चाय, पानी और खाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
कई बार किया गया पत्राचार
दमोह रेलवे स्टेशन प्रबंधक जेएस मीणा ने बताया कि दमोह रेलवे स्टेशन पर चाय, पानी और भोजन जैसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कई बार इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों से पत्राचार किया। लेकिन आज तक कोई सुधार नहीं हुआ।
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