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ललितपुर। जिले के जामनी बांध में भी जलस्तर कम होता जा रहा है। जबकि बांध से सैदपुर-कुम्हैड़ी और गौना-नाराहट पेयजल परियोजनाओं को पानी दिया जाना है। ऐसे में इन क्षेत्रों में पेयजल संकट गहरा सकता है। हालांकि अफसर जुलाई माह में मानसून सक्रिय होने के बाद बांध का जलस्तर बढ़ने का दावा कर रहे हैं।

जामनी नदी पर बने जामनी बांध का पूर्ण जलस्तर 403.55 मीटर और न्यूनतम जलस्तर 396.39 मीटर है। वर्तमान में बांध का जलस्तर 397.85 मीटर है। बांध में पूर्ण जलस्तर होने पर 92.87 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी की उपलब्धता रहती है। बांध में अनुपयोगी जल 8.80 एमसीएम रहता है। जबकि 67 एमसीएम पानी सिंचाई के लिए आरक्षित है। जोकि दाहिनी व बांयी नहर से किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। वहीं मौजूदा समय में बांध में केवल एक एमसीएम पानी ही बचा है।

जबकि इस बांध से जून में सैदपुर-कुम्हैडी ग्राम समूह योजना के लिए 5.11 एमसीएम और गौना-नाराहट ग्राम समूह योजना को 5.84 एमसीएम पानी दिया जाना है। जलस्तर कम होने से परियोजनाओें को पानी मिलने की संभावना कम ही है।

बांध का 17 एमसीएम पानी मध्य प्रदेश के लिए आरक्षित

जामनी बांध में उपलब्ध रहने वाले 92.87 एमसीएम पानी में से 17 फीसदी पानी मध्य प्रदेश के लिए आरक्षित रहता है। मध्य प्रदेश के लिए यह पानी टीकमगढ़ डीबाई के जरिए पहुंचाया जाता है। यह पानी जामनी बांध निर्माण के समय प्रदेश सरकार व मध्य प्रदेश सरकार के बीच हुए एक समझौते के तहत दिया जाता है। पानी लेने के एवज में एमपी को निर्धारित धनराशि भी देनी होती है। लेकिन वर्षों से एमपी शासन ने यह धनराशि सिंचाई विभाग को नहीं दी है। मध्य प्रदेश पर करीब दो से ढाई करोड़ रुपये का बकाया चल रहा है।

बांध में वर्तमान समय में एक एमसीएम उपयोगी जल उपलब्ध है। यह पानी दो पाइप पेयजल योजनाओं को दिए जाने के लिए आरक्षित किया गया है। अभी दोनों परियोजनाओं के लिए बांध से टेस्टिंग के लिए पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं जुलाई माह में मानसून सक्रिय हो जाने से बांध में पर्याप्त पानी हो जाएगा। – इंजी. सलमान खान, सहायक अभियंता, सिंचाई खंड

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