हॉल में लोग बेहाल, सिर पकड़कर बैठे रहे
मानसरोवर हॉल में छोटी-छोटी दस कतारों में भक्त खड़े थे। हॉल में पंखे थे। एक कोने में पानी की लॉरी थी। हॉल में कतार के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचने में पूरे पौने दो घंटे लग गए। 2:56 पर हॉल में आए और निकले 4:40 बजे। इन डेढ़ घंटों में हॉल की लाइन में खड़े लोगों के हाल बेहाल थे। एक महिला का जी घबराने लगा। उसे चक्कर आए तो सुरक्षाकर्मियों ने कतार से निकालकर हॉल के बाहर पहुंचाया। थके हारे कई भक्त जमीन पर बैठकर कतार के आगे बढ़ने का इंतजार करते रहे। कोई मोबाइल पर रील देखता रहा। कोई गेम खेलने लगा। पानी की प्यास लग रही थी सो अलग। हॉल में लगी पानी की लॉरी से कुछ बच्चे पानी लाकर लोगों को दे रहे थे। इस जल सेवा के बदले बच्चे सच्ची दुआ पा रहे थे।
हल्ला मचा- खुला गेट, खत्म हुआ इंतजार
डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक हॉल में खड़े लोग उब गए थे। सुरक्षाकर्मी कह रहे थे कि दोपहर चार बजे तक आम लोगों के लिए गर्भगृह खुला है। इस वजह से देर हो रही है। चार बजे बाद भी मानसरोवर हॉल से लोगों को जाने नहीं दिया तो सबने साथ में शोर मचाना शुरू कर दिया। इसके बाद हॉल का गेट खोला गया। तब तक गर्भगृह का प्रवेश बंद कर दिया गया था। लोग गणपति मंडप से ही 150 फीट दूर स्थित बाबा महाकाल की झलक लेकर निकले। तीन घंटे तक कतार में खड़े रहे। तीस सेकंड के दर्शन भी सुरक्षाकर्मी करने नहीं दे रहे थे। अकोला से आए शांतुन खरे ने कहा कि शेगांव में दर्शन की इतनी अच्छी व्यवस्था है कि यहां के लोगों को आकर देखना चाहिए। आम लोगों के दर्शन पर ध्यान देना चाहिए, न कि वीआईपी और शीघ्र दर्शन पर। पैसे से दर्शन कराने से कौन-सा पुण्य मिल जाएगा अफसरों को?
यह है सशुल्क व्यवस्था
पिछले कुछ समय से महाकाल मंदिर में सशुल्क दर्शन व्यवस्था लागू की गई है। इसके तहत भस्मारती दर्शन के लिए 200 रुपये, शीघ्रदर्शन के लिए 250 रुपये और गर्भगृह तक जाने के लिए 750 रुपये की रसीद काटी जा रही है। जो लोग पैसे नहीं दे सकते, उनके लिए गणपति हॉल से दर्शन व्यवस्था की गई है। यह जगह बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग से 150 फीट दूर है। यहां से बाबा की सिर्फ झलक ही मिलती है। ज्यादातर लोगों को ऊपर लगी एलईडी स्क्रीन पर ही बाबा महाकाल दर्शन देते हैं।