
उज्जैन में सलोनी ने दीक्षा अंगीकार की।
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उज्जैन की 25 वर्षीय सलोनी भंडारी ने सांसारिक रिश्तों का त्याग कर साध्वी दीक्षा अंगीकार की है। 48 दिन पहले से वे संसाधनों के उपभोग से दूर होने का अभ्यास कर रही थीं, इसके लिए उप-ध्यान किया है।
ना वाहन, ना इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ना किसी तरह की विलासिता और अब केवल आजीवन पैदल विहार के साथ मंदिर उपाश्रय में ही प्रवास जैसे कठिन नियमों को जानने के बाद भी उज्जैन की सलोनी भंडारी ने साध्वी दीक्षा अंगीकार करने का कठिन निर्णय लिया। वे अब परम पूज्या साध्वी मल्लीदर्शना श्रीजी बन गईं। पिछले पांच दिनों से इस दीक्षा महोत्सव के तहत नगर में विभिन्न कार्यक्रम मनोरमा व महाकाल मंडपम में आयोजित हो रहे थे। बुधवार को आखिर वह समय आ ही गया जब सलोनी ने मुख्य दीक्षा ग्रहण कर सांसारिक रिश्तों को त्याग कर केवल धर्म के उद्देश्य के लिए सादा जीवन जीने के लिए साध्वी की दीक्षा ग्रहण कर ली। परम पूज्य आचार्य मतिचंद्र सागर सूरीश्वर, अध्यात्म योगी गणिवर्य आदर्श रत्न सागर व साध्वी मुक्ति दर्शना श्रीजी के साथ ही अन्य गुरुवर की मुख्य उपस्थिति में यह दीक्षा महोत्सव आयोजित किया गया था।
दीक्षा के पहले 48 दिन उप-ध्यान कर चुकी है सलोनी
सलोनी भंडारी से जब पूछा गया कि घर-संसार की सुख सुविधा जिनकी आप आदी हो चुकी हैं, अब इनके बिना कैसे रह पाएंगी, टीवी-मोबाइल, गाड़ी, सहेलियां सब छूट जाएंगी, तो क्या करेंगी। पैदल चलना पड़ेगा, तो वे बोलीं…मैंने महाराज साहब के सान्निध्य मे पहले ही 48 दिन का उप-ध्यान कर लिया है, जिसमें इन सारी चीजों से दूर रहने प्रैक्टिस हो गई है। अब कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा। साधु की पूरी चर्या मैं कर चुकी हूं। राजगढ़ से लेकर उदयपुर तक महाराज साहब के साथ पैदल विहार भी किया है।
अब तक हुए यह आयोजन
नूतन दीक्षित का वस्त्र रंगोत्सव, वषीर्दान, कहानी सलोनी की एवं वधावणा किया गया। इसके बाद मुमुक्षु का वषीर्दान वरघोड़ा निकला, जिसमें रथ पर बैठकर सांसारिक वस्तुओं के त्याग स्वरूप उन्हें लुटाया। बुधवार सुबह मुख्य दीक्षा विधि आरंभ हुई जिसमें बड़ी तादाद में समाजजनों के साक्षी में सलोनी संपूर्ण वैभव और रिश्ते नातों का त्याग कर साध्वी दीक्षा ग्रहण की।
शहर के प्रसिद्ध आभूषण विक्रेता की बिटिया हैं सलोनी
बता दें कि सलोनी ज्वेलर विमल भंडारी और पूजा भंडारी की बेटी हैं। उन्होंने दीक्षा आचार्य मतिचंद्र सागर सूरीश्वर, अध्यात्म योगी गणिवर्य आदर्श रत्न सागर व साध्वी मुक्ति दर्शना श्रीजी की उपस्थिति में अंगीकार की। इस दौरान सलोनी भंडारी को परम पूज्या साध्वी मल्ली दर्शना जी का नूतन नाम भी प्रदान किया गया।