
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
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एमपीपीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा क्लीयर करने के बाद रिवाइज लिस्ट में हटाये गये 18 परीक्षार्थियों को हाईकोर्ट से आंशिक राहत मिली है। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने याचिकाकर्ता को इंटरव्यू में शामिल करने के अंतरिम आदेश दिये हैं। एकलपीठ ने प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग तथा आयुक्त एमपीपीएससी को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं।
याचिकाकर्ता वैशाली वाधवानी सहित अन्य 18 की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि पीएससी 2019 की आयोजित प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में उनका चयन हो गया था। परीक्षा संशोधित नियम 2015 के अनुसार करवाये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। जिसमें कहा गया था कि मेरिटोरियस छात्रों का चयन अनारक्षित वर्ग में नहीं किया गया है। हाईकोर्ट की युगलपीठ ने 7 अप्रैल 2022 को पारित अपने आदेश में कहा था कि परीक्षा के रिजल्ट असंशोधित नियम के अनुसार जारी किये जाये। युगलपीठ ने आदेशानुसार रिवाइज चयन सूची जारी की गयी थी। मुख्य परीक्षा में चयनित होने के बावजूद भी रिवाइज रिजल्ट में अन्य इंटरव्यू के लिए अप्रात्र माना गया।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट में भर्ती संबंधित याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने 2 जनवरी 2023 को पारित अपने आदेश में कहा है कि प्रारंभिक परीक्षा सिर्फ स्क्रीनिंक टेस्ट होता है। जिसका आयोजन अभ्यार्थियों को शॉर्ट लिस्ट करने किया जाता है। प्रारंभिक स्थिति में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। एकलपीठ तीन प्रश्न उठाते हुए कहा कि 7 अप्रैल 2022 को पारित आदेश की वैधता व शुद्धता माइग्रेट छात्र अक्षुण्ण नहीं है, अधिकारी अभी भी पूर्वव्यापी रूप से परीक्षा परिणाम संशोधित कर सकते हैं। परीक्षार्थी का चयन हो जाता है तो उसे वंचित किया जा सकता है। एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को इंटरव्यू में शामिल करने अंतरित आदेश पारित करते हुए इस संबंध में जवाब मांगा है।