
तात्या टोपे प्रतिमा (शिवपुरी)
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1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के वीर नायकों में से एक शहीद तात्या टोपे के परिजन केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सरकार से नाराज हैं। अपने गुरिल्ला युद्ध से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले और झांसी की रानी के साथ प्रथम स्वतंत्रता आंदोनल लड़े तात्या टोपे के परिजनों का कहना है कि शिवपुरी तात्या टोपे की बलिदानी स्थली है। यह पर अभी तक संग्रहालय व स्मारक का निर्माण नहीं किया गया है। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय से इस तरह के पत्र व्यवहार पूर्व में हो चुके हैं। इसके बाद भी सरकारों का ध्यान इस तरफ नहीं है।
तात्या टोपे के वंशज सुभाष टोपे का कहना है कि सरकारों की अरुचि ने ही इसकी उपेक्षा की है। गुना-शिवपुरी के सांसद केपी यादव ने तात्या टोपे की याद में उनके बलिदान स्थल पर पुरातत्व संग्रहालय और एक बड़ा पार्क बनाने की मांग की थी। इसमें टोपे की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव है। सांसद की यह मांग केंद्र और राज्य सरकारों के बीच फंसी हुई है।
सांसद केपी यादव की इस मांग के बाद राज्य और केंद्र सरकार के बीच मामला उलझ गया। बताया जाता है कि केंद्र के संस्कृति मंत्रालय द्वारा मध्यप्रदेश सरकार और शिवपुरी जिला प्रशासन को इसकी डीपीआर बनाने के लिए पत्र लिखा गया। इसके बाद कोई कार्यवाही नहीं हुई। मामला अभी तक फाइलों में ही लटका पड़ा है। शिवपुरी में तात्या टोपे की प्रतिमा रोड किनारे लगी है। यहां पर नवीन पार्क के अंदर प्रतिमा को लगाया जाना है। मंगलवार को तात्या टोपे के बलिदान दिवस 18 अप्रैल पर हर वर्ष की तरह शहीद मेला लगा था। इस मेले में आए सुभाष टोपे ने बताया कि सरकारें बड़ी बातें करती हैं। देश को आजादी दिलाने वाले वीर शहीदों के बलिदान को भुलाया जा रहा है। सन् 1857 की क्रांति के प्रमुख योद्धा अमर शहीद तात्या टोपे को 18 अप्रैल 1959 को अंग्रेजों ने धोखे से पकड़कर शिवपुरी में फांसी दी थी। शिवपुरी तात्या टोपे का बलिदान स्थल है। हर साल यहां पर शहीद मेला आयोजित होता है। इसके बाद भी अब तक संग्रहालय नहीं बन सका है। नवीन पार्क भी आधा-अधूरा पड़ा है।